उत्तराखंड शासन की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोपों में निलंबित किए गए वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी रामजी शरण शर्मा की जल्द बहाली पर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने नाराजगी जताई है। आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव आनंद वर्धन को पत्र लिखते हुए राज्य सरकार की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं और बिना अनुमति के बहाली को अनुचित बताया है।
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान रामजी शरण शर्मा, जो उस समय देहरादून में अपर जिलाधिकारी के पद पर थे, पर चुनाव ड्यूटी में लापरवाही और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन न करने का आरोप लगा था। राज्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग ने शर्मा के निलंबन की संस्तुति की, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर जांच शुरू की गई।
हालांकि, कुछ ही समय में जांच पूरी कर शर्मा को सिर्फ चेतावनी देकर बहाल कर दिया गया। यह बहाली गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई थी और इसकी सूचना आयोग को भेजी गई थी।
अब, भारत निर्वाचन आयोग ने इस पूरे घटनाक्रम पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि पीसीएस अफसर की बहाली बिना आयोग की पूर्व स्वीकृति के नहीं होनी चाहिए थी। आयोग ने न सिर्फ इस पर आपत्ति जताई है, बल्कि एक बार फिर रामजी शरण शर्मा के निलंबन की संस्तुति करते हुए मामले में नए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
ECI के इस पत्र के बाद शासन में हड़कंप मच गया है। अब यह मामला कार्मिक विभाग के जरिए मुख्यमंत्री स्तर पर पहुंच गया है, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह देखना होगा कि अब सरकार आयोग की सख्ती के बाद किस तरह की कार्रवाई करती है।