उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सहायक शिक्षक भर्ती मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की और पूरे प्रकरण पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने कहा अभ्यर्थी जो उस भर्ती के लिए पात्र थे, उनकी भर्ती बीच में छोड़कर क्यों फिर से तीन वर्ष बाद 2024 में उन रिक्तियों का समावेश कर भर्ती निर्गत की गई है।
हाईकोर्ट ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं कि जब उसकी ओर से एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि 451 पदों की भर्ती की जाएगी। फिर जो अभ्यर्थी उस भर्ती में पात्र थे, उनकी भर्ती बीच में छोड़कर दोबारा भर्ती क्यों करना पड़ा। बीच में छोड़कर पुनः उन रिक्तियों को वर्ष 2024 की भर्तियों में किसके आदेश से शामिल किया गया है।
मामले के अनुसार मनोज पांडे व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) की योग्यता रखते हैं और सहायक शिक्षक बनने के लिए पात्र हैं। लेकिन उनकी भर्ती प्रक्रिया को 2021 में बीच में ही छोड़कर सरकार ने 2024 में पुनः विज्ञप्ति निकाल दी।