आय से अधिक संपत्ति और अवैध खनन कराने में यूपी के कई आईएएस अफसर फंस गए हैं। चित्रकूट के तत्कालीन डीएम ओम सिंह देशवाल, पूर्व सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी समेत पांच अफसरों और चार कर्मचारियों पर एफआईआर के बाद शिकंजा कस गया है। आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तारी करने की तैयारी हो रही है।
शिकायत के बाद दो साल तक चली जांच में झांसी की विजिलेंस इकाई ने 27 अधिकारियों-कर्मचारियों से पूछताछ की। केस में 369 फाइलें खंगाली गईं। आरोपियों की संपत्ति का ब्योरा, रजिस्ट्री कार्यालय से चल-अचल संपत्ति, बैंक खातों की डिटेल और बाजार में निवेश की पड़ताल की गई। ठोस सुबूत मिलने के बाद विजिलेंस ने भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम समेत आईपीसी की धारा 420, 120-बी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई। फिलहाल सभी आरोपी रिटायर हो चुके हैं।
वर्ष 2004 से 2010 तक चित्रकूट में डीएम रहे ओम देशवाल, सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी, परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी, सोमपाल, सहायक अभियंता बुद्धिराम चौधरी समेत नौ के खिलाफ अवैध खनन कराने की शिकायत की गई थी। शासन के आदेश पर विजिलेंस टीम ने मई 2022 में जांच शुरू की थी। जांच में सामने आया कि 2001 में पंजीकरण रद्द होने के बावजूद फैजाबाद स्थित एनजीओ, पर्यावरण और ग्रामीण विकास इंजीनियरिंग सेवा संस्थान को जनवरी 2003 से मार्च 2004 के बीच सरकारी धन का भुगतान किया गया।
इन निधियों को स्थानीय क्षेत्र विकास योजना, संपूर्ण रोजगार योजना और एकीकृत विकास कार्यक्रम के तहत विभिन्न कार्यों के लिए आवंटित किया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि स्वीकृत परियोजनाओं में से कोई भी धरातल पर नहीं उतरी और पैसा फिर भी दे दिया गया। इसमें सांसद निधि से 1.02 लाख, संपूर्ण रोजगार योजना से 14.57 लाख, आईआरडीपी फंड से 3.38 लाख समेत 18.97 लाख रुपये का गोलमाल किया गया।
इन पर दर्ज हुई रिपोर्ट
एसपी विजिलेंस आलोक शर्मा के मुताबिक ओम सिंह देशवाल निवासी नई दिल्ली, सीडीओ भूपेंद्र त्रिपाठी निवासी प्रतापगढ़, परियोजना निदेशक प्रेमचंद्र द्विवेदी निवासी प्रयागराज, डीआरडीए के प्रदीप कुमार माथुर निवासी चित्रकूट, मुन्नालाल तिवारी निवासी बांदा, रामस्वरूप श्रीवास्तव निवासी चित्रकूट, आरईएस के सहायक अभियंता बुद्धिराम चौधरी निवासी सिद्धार्थनगर, परियोजना निदेशक सोनपाल निवासी झांसी एवं देवनारायण तिवारी निवासी बाराबंकी को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।