उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार जनता ने साफ संदेश दे दिया है कि परंपरागत दलों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जाएगा। इस बीच पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को बड़ा झटका लगा है। भाजपा को मात्र एक सीट पर संतोष करना पड़ा, जबकि कांग्रेस भी एक ही सीट जीत पाई। बाकी सात सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी, जो आने वाले समय में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
गंगोलीहाट से भाजपा विधायक फकीर राम टम्टा के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा। उनकी गृह जिला पंचायत सीट उडियारी से भाजपा प्रत्याशी बबीता रावल को हार का सामना करना पड़ा। यहां निर्दलीय प्रत्याशी किरन नेगी ने जबरदस्त जीत दर्ज की। खास बात यह रही कि भाजपा ने इस क्षेत्र में नौ जिला पंचायत सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ लक्ष्मण सिंह कार्की ही उडियारी सीट से जीत पाए।
भाजपा से टिकट न मिलने के बावजूद कई प्रत्याशियों ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया। मरेला संगौड़ सीट पर विमला देवी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को पछाड़ते हुए निर्दलीय जीत दर्ज की। इसी तरह, पिपली सीट से किरन नेगी ने भाजपा की बबीता रावल को हराकर भाजपा के आंतरिक असंतोष को उजागर कर दिया।
थल सीट पर भाजपा के नंदन बाफिला को निर्दलीय रितिक पांडेय ने हराया। ढनौलासेरा सीट से निर्दलीय राजेश कुमार, गणाई गंगोली से पंकज बोरा, चहज से राहुल कुमार, और सुंगड़ी सीट से शोभा देवी ने भाजपा प्रत्याशियों को शिकस्त दी। चीटगल सीट से कांग्रेस की ममता देवी ने जीत दर्ज की, वहीं अन्य कई सीटों पर भाजपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर सिमट गए।
भाजपा के लिए राहत की खबर मूनाकोट क्षेत्र से आई, जहां डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल की बेटी दीपिका चुफाल ने भडकटिया सीट से जीत दर्ज की। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कमला चुफाल और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा ने भी भाजपा के लिए जीत दर्ज की।
पिथौरागढ़ जिले की कुल 32 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा को 14, कांग्रेस को 6 और निर्दलीयों को 12 सीटें मिली हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी किंगमेकर की भूमिका में होंगे। भाजपा के भीतर की गुटबाजी और टिकट वितरण को लेकर असंतोष ने इस बार के नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित किया है।