उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारी के बीच टिकटों के ऐलान के साथ ही दलबदल की राजनीति भी गरमाई हुई है। इस संदर्भ में अल्मोड़ा से भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता भैरव गोस्वामी ने बड़ा कदम उठाते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों की राजनीतिक स्थिति को चुनौती दी है। भैरव गोस्वामी ने अचानक भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिससे दोनों पार्टियों की कथित मजबूती की पोल खुल गई है।
भैरव गोस्वामी के कांग्रेस में शामिल होने से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस को मेयर पद के लिए एक मजबूत प्रत्याशी की आवश्यकता थी, जो उसे प्रचार के बावजूद नहीं मिल पा रहा था। गोस्वामी के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को उम्मीद है कि वह अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेगी। भाजपा हालांकि यह दावा कर रही है कि गोस्वामी कभी भाजपा के सदस्य नहीं रहे, लेकिन भाजपा के कार्यक्रमों और गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी इसे नकारा करती है।
भैरव गोस्वामी के इस कदम ने भाजपा की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि भाजपा हमेशा खुद को एक मजबूत और संगठित पार्टी बताती रही है। गोस्वामी ने पार्टी छोड़कर यह सिद्ध कर दिया कि भाजपा का संगठन उतना मजबूत नहीं है, जितना वह दावा करती रही है। कांग्रेस ने भी अपने दावे के अनुसार, गोस्वामी और उनके करीब 150 कार्यकर्ताओं के कांग्रेस में शामिल होने की पुष्टि की है।