हल्द्वानी। ऊधमसिंहनगर मे वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में हुए 600 करोड के चर्चित चावल घोटाले की विशेष ऑडिट रिपोर्ट में हुई कार्यवाही की सूचना को लेकर राज्य सूना आयोग में सोमवार को दोबारा सुनवाई हुई। अपीलार्थी द्वारा लिखित रुप से रखे गये अपने पक्ष में कई चौंकाने वाले तथ्यों को उजागर किया है।
गौरतलब है कि पहले इस मामले की जांच हेतु गठित एस.आइ.टी. ने अपनी जांच रिपोर्ट में 600 करोड के अपव्यय व राजकीय धन की क्षति का आगणन किया था बाद में शासन द्वारा स्पेशल आडिट कराया गया । शासन द्वारा 3 जून 2020 को जारी स्पेशल आडिट रिपोर्ट में भी एस.आइ.टी. द्वारा आगणित 600 करोड के अपव्यय व राजकीय धन के क्षति की पुष्टि की गई।
हल्द्वानी के देवकीबिहार निवासी रमेश चन्द्र पाण्डे ने 29 जून 2023 को आडिट निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन भेजकर एस आइ टी की रिपोर्ट, स्पेशल आडिट रिपोर्ट एवं इस रिपोर्ट की परिपालन आख्या सहित पांच बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी। आडिट रिपोर्ट की परिपालन आख्या स्पष्ट व अद्यावधिक नहीं होने के कारण उनके द्वारा सूचना आयोग में अपील की गई।
जिस पर 26 फरवरी को हुई सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी द्वारा भेजी गई परिपालन आख्या के अभिलेख आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किये जा सके जिससे यह स्पष्ट नहीं हुआ कि दी गई सूचना मूल आवेदन में मांगी गई सूचना के अनुरूप है या नहीं। सुनवाई के बाद राज्य सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह के हस्ताक्षर से जारी आदेश में अगली सुनवाई की तिथि 1 अप्रैल को निर्धारित करते हुए लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया गया कि सुनवाई की आगामी तिथि से पहले उक्त परिपालन आख्या की सत्यापित प्रति नि:शुल्क अपीलार्थी को उपलब्ध करायी जाय और ये अभिलेख आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये जाय ।
1 अप्रैल (सोमवार ) को दोबारा हुई सुनवाई में अपीलार्थी रमेश चन्द्र पाण्डे ने अपना पक्ष लिखित व दूरभाष के जरिये रखा। श्री पाण्डे ने अपना पक्ष लिखित रुप से रखने के लिए जो पत्र आयोग को भेजा था उसे मिडिया के साथ साझा किया। कहा गया है कि आयोग द्वारा 26 फरवरी को दिये गये आदेश के बाद भी लोक सूचना अधिकारी द्वारा परिपालन आख्या की स्पष्ट प्रमाणित प्रति उन्हें नहीं भेजी गई ।
श्री पाण्डे के अनुसार पूर्व में परिपालन की जो साफ्ट कापी उन्हें दी गई थी वह खाद्य विभाग का आन्तरिक पत्राचार है जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि खाद्य विभाग द्वारा किस पत्र से कब परिपालन आख्या वित्त विभाग को भेजी और उस पर वित्त /आडिट विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई।
श्री पाण्डे ने पत्र में सबसे चौंकाने वाली बात ये कही है कि उन्हें परिपालन आख्या की जो साफ्ट कापी उपलब्ध करायी गयी है उसमें खाद्य विभाग द्वारा आडिट आपत्तियों को नकारते हुए धान खरीद व चावल संचरण की कार्यवाही को नियमानुसार बताया है। उन्होंने सूचना आयोग से जनहित से जुड़े इस गम्भीर प्रकरण के सम्बन्ध में मांगी गई स्पष्ट व अद्यावधिक सूचना की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है ।