जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों की मिलीभगत थी। हाल ही में सामने आई एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों के निर्देश पर रची गई थी।
हमले में 26 निर्दोष सैलानियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस वीभत्स घटना के बाद भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर आतंकियों के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ISI ने इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा को सौंपी थी। खास बात यह है कि इस ऑपरेशन के लिए केवल विदेशी (पाकिस्तानी) आतंकियों को तैनात किया गया था। स्थानीय कश्मीरी आतंकवादियों को जानबूझकर इससे दूर रखा गया, जिससे पाकिस्तान की भूमिका पर संदेह कम हो।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, हमले की अगुवाई सुलेमान नामक आतंकी कर रहा था, जिसे लश्कर के मुरीदके स्थित ठिकाने पर प्रशिक्षित किया गया था। बताया जा रहा है कि वह पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स का पूर्व कमांडो रह चुका है। सैटेलाइट फोन विश्लेषण से पता चला है कि 15 अप्रैल को उसकी लोकेशन कश्मीर के त्राल क्षेत्र में थी, जिससे संकेत मिलता है कि वह घटना से करीब एक सप्ताह पहले बैसारन घाटी में सक्रिय था।
7 मई को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र (PoK) में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए कई ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऑपरेशन में कई शीर्ष आतंकियों के मारे जाने की भी संभावना है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए। इनमें सबसे अहम था सिंधु जल संधि को स्थगित करना और पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का निर्देश देना। इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट संकेत गया कि भारत अब आतंकी हमलों के जवाब में ‘कूटनीतिक सहनशीलता’ नहीं, बल्कि ‘सीधी कार्रवाई’ की नीति अपना रहा है।
हालांकि भारत सरकार की ओर से इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन रक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति अब और अधिक सख्त और निर्णायक हो चुकी है।