उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त और सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों से उनके सेवाकाल के दौरान दिए गए लाभों की वसूली के मामले में सुनवाई की। गुरुवार को पूर्व आदेश के संदर्भ में वित्त सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित हुए।
वित्त सचिव ने कोर्ट को बताया कि जिन अधिकारियों के कारण शिक्षकों को गलत भुगतान हुआ, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सरकार इस संबंध में नया शासनादेश भी जारी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन कर्मचारियों से लाभ वसूलने के आदेश दिए गए थे, अब उनसे पैसे वसूलने का प्रावधान नहीं रहेगा।
मामले के अनुसार, चंपावत जिले के कई सेवानिवृत्त और सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक उच्च न्यायालय में याचिका लेकर आए थे। उनका कहना था कि वे 1990 में शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए, 2002 में नियमित हुए और 2024 में सेवा समाप्त कर सेवानिवृत्त हुए या होने वाले हैं। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने एक नोटिफिकेशन जारी कर उनके सेवा काल में प्राप्त लाभों की वसूली का आदेश दिया, जिसमें कुछ शिक्षकों को 13-13 लाभों के लिए नोटिस दिए गए। एक शिक्षक को तो 29 लाख रुपये की रिकवरी का नोटिस भी मिला था, जिस पर रोक लगाने की मांग की गई।
बताया गया कि शिक्षा विभाग ने सातवें वेतनमान के तहत 2016 से चयन और प्रोन्नत वेतनमान में एक वेतनवृद्धि का लाभ दिया था। लेकिन 6 सितंबर 2019 को शासन ने इस लाभ पर रोक लगा दी। फिर 13 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर अतिरिक्त वेतनवृद्धि के भुगतान की धनराशि की वसूली का निर्देश दिया गया। इसके बाद कुछ शिक्षकों से पैसे वसूले गए, जबकि कुछ ने हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट के आदेश पर शासन ने शिक्षकों से वसूली के सभी आदेश निरस्त कर दिए।
सरकार ने अब मामले को सुलझाने के लिए नया शासनादेश जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।