उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार दो करोड़ से अधिक बैलेट पेपर छपवाए हैं। चुनाव चिन्ह आधारित इस प्रक्रिया में मतदाताओं को प्रत्याशियों के नाम या पार्टी के बजाय केवल चिन्ह दिखाई देंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल के अनुसार, पंचायत चुनाव पार्टी आधारित नहीं होते, इसलिए बैलेट पेपर में प्रत्याशियों के नाम नहीं छपते। आयोग ने विभिन्न समूहों में बैलेट पेपर तैयार कराए हैं, जैसे- छह, नौ और 12 चुनाव चिह्न वाले बैलेट। जिस क्षेत्र में जितने प्रत्याशी होते हैं, वहां उसी के अनुसार बैलेट को मोडिफाई कर उपयोग में लाया जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी वार्ड में केवल पांच प्रत्याशी हैं तो छह चुनाव चिह्न वाले बैलेट से एक चिन्ह फाड़कर अलग कर दिया जाएगा।
ढाई करोड़ बैलेट पेपर की छपाई
राज्य में लगभग 50 लाख मतदाता हैं। इनकी संख्या को ध्यान में रखते हुए आयोग ने लगभग ढाई करोड़ बैलेट पेपर छपवाए हैं। ये बैलेट पेपर उत्तर प्रदेश की सरकारी प्रेस रामनगर और लखनऊ के अलावा आरबीआई से अधिकृत निजी प्रेस से भी छपवाए गए हैं। पहली बार हैदराबाद स्थित सरकारी प्रिंटिंग प्रेस से भी दो लाख बैलेट पेपर मंगवाए गए हैं।
हिमाचल से मंगाई गईं मतपेटियां
चुनाव की तैयारी कई माह पूर्व शुरू हो गई थी। इसके अंतर्गत पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से मतपेटियां मंगाई गई हैं, ताकि समय पर सभी बूथों पर आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा सके।
144 चुनाव चिह्न तय
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए कुल 144 चुनाव चिह्न निर्धारित किए हैं।
- ग्राम प्रधान के लिए: 40 चिन्ह – फावड़ा, बाल्टी, ड्रम, टोकरी, अनानास, कैमरा आदि।
- जिला पंचायत सदस्य के लिए: 40 चिन्ह – सीढ़ी, हथौड़ा, सैनिक, पेड़, सीटी, थर्मस आदि।
- क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए: 36 चिन्ह – नारियल, महिला पर्स, लौकी, पानी का जहाज, गुड़िया, टेबल लैंप, टॉर्च आदि।
- ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य के लिए: 18 चिन्ह – तरबूज, सेब, घड़ा, शंख, चम्मच, डमरू, आम आदि।
चुनाव आयोग का कहना है कि बैलेट पेपर और चुनाव चिन्हों की यह व्यवस्था पूरी पारदर्शिता के साथ की गई है, ताकि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सकें।