सरोवर नगरी नैनीताल में नगर पालिका और ऊर्जा निगम के बीच बिजली बिल और किराए को लेकर विवाद एक बार फिर गहराता जा रहा है। ऊर्जा निगम द्वारा नगर पालिका को करीब चार करोड़ रुपये का बकाया बिजली बिल आठ जून तक जमा करने का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन रविवार तक कोई भुगतान नहीं हुआ। सोमवार को निगम इस पर अंतिम निर्णय ले सकता है, जिससे नैनीताल की स्ट्रीट लाइटों के कनेक्शन कटने की आशंका फिर मंडरा रही है।
पालिका का कहना है कि ऊर्जा निगम ने पालिका की भूमि पर स्थापित अपने भवनों और ट्रांसफार्मरों का अब तक 25.20 करोड़ रुपये का किराया नहीं चुकाया है। पालिका का तर्क है कि जब तक निगम यह राशि नहीं देता या उसे बिजली बिल में समायोजित नहीं करता, तब तक बिजली बकाया की मांग करना तर्कसंगत नहीं है।
पालिका ने चेतावनी दी है कि यदि स्ट्रीट लाइटों के कनेक्शन काटे जाते हैं, तो किसी भी अप्रिय घटना के लिए ऊर्जा निगम जिम्मेदार होगा।
यह पहला मौका नहीं है जब विवाद इस स्तर तक पहुंचा हो। पूर्व में भी बिजली बिलों के बकाया के चलते ऊर्जा निगम ने शहर की स्ट्रीट लाइटों के कनेक्शन काट दिए थे, जिससे दो दिन तक पूरा शहर अंधेरे में डूबा रहा। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों के बीच बैठक हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि पालिका पुराने बिल किस्तों में चुकाएगी और मौजूदा बिलों का भुगतान समय पर करेगी।
ऊर्जा निगम का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत खंभों और ट्रांसफार्मरों पर किराया नहीं बनता है। निगम के अनुसार, इस संबंध में मामला पहले से ही निचली अदालत में विचाराधीन है, इसलिए निगम पर किसी तरह की देनदारी लागू नहीं होती।
पालिका का कहना है कि संबंधित भूमि उसके स्वामित्व की है और ट्रांसफार्मर उसी पर स्थापित हैं। पालिका का दावा है कि जिस अधिनियम का हवाला ऊर्जा निगम दे रहा है, वह नैनीताल जैसे विशेष दर्जा प्राप्त शहरों पर लागू नहीं होता।
रविवार होने की वजह से फिलहाल स्ट्रीट लाइटों के कनेक्शन नहीं काटे गए हैं। अब सोमवार को निगम इस संबंध में फैसला ले सकता है। यदि बकाया नहीं चुकाया गया, तो नैनीताल एक बार फिर अंधेरे में डूब सकता है।