उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन यात्रा को प्रमोट करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस यात्रा का प्रमोशन पहले कभी इतना गंभीर और व्यापक रूप से नहीं किया गया।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब किसी प्रधानमंत्री ने मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना की हो। यह न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। गंगोत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल ने इस अवसर को “गौरवान्वित करने वाला” बताया। वहीं, तीर्थपुरोहित और लोक कलाकार रजनीकांत सेमवाल ने भी मुखवा के चयन के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर उत्तराखंड के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर साबित हुए हैं, जैसा कि केदारनाथ धाम के उदाहरण से स्पष्ट है, जहां उनकी सक्रियता से श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। पीएम मोदी ने 28 जनवरी को राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के दौरान शीतकालीन यात्रा से जुड़ने की इच्छा जताई थी, और कार्यक्रम में बदलाव के बावजूद वह मुखवा-हर्षिल पहुंच गए। यह प्रधानमंत्री का उत्तराखंड से भावनात्मक जुड़ाव ही है, जिसने इस यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शीतकालीन यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों का परिणाम अब सामने आ चुका है। प्रधानमंत्री के इस दौरे ने उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन को देश-विदेश में नई पहचान दिलाई है।
पीएम मोदी ने माणा हादसे पर दुख व्यक्त किया और सीएम धामी को यह सुझाव दिया कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाए, ताकि वे उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म पर शॉर्ट फिल्में बनाएं। जो फिल्म सबसे बेहतरीन होगी, उसे इनाम दिया जाएगा। इससे प्रदेश के खूबसूरत स्थलों की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगी। साथ ही, प्रधानमंत्री ने कंटेंट क्रिएटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर से भी अपील की कि वे उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आगे आएं। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन को नए आयामों पर लेकर जाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है।