उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि के तहत पुलिस की सख्त कार्रवाई जारी है। अब तक प्रदेशभर में 5,500 से अधिक लोगों का सत्यापन किया जा चुका है, जिसमें से 1,182 बहुरूपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है और 14 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
ऑपरेशन कालनेमि का उद्देश्य उन लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त वैधानिक कार्रवाई करना है, जो अपनी असली पहचान छुपाकर समाज में घुलमिल कर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। ये लोग ठगी, धोखाधड़ी और धर्मांतरण जैसे अपराधों को अंजाम देते हैं।
हरिद्वार जिले में सबसे अधिक 2,704 लोगों का सत्यापन हुआ, जहां 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें छद्म वेशभूषा, विवाह के नाम पर धोखाधड़ी और औषधि के चमत्कारिक इलाज को लेकर भ्रामक जानकारी देने के आरोप शामिल हैं। देहरादून में 922 लोगों का सत्यापन हुआ, जिसमें 5 गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें अवैध विदेशी घुसपैठ और धोखाधड़ी के मामले हैं।
उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी व्यापक जांच और कार्रवाई की गई है। टिहरी में 299, उत्तरकाशी में 167, चमोली में 90, रुद्रप्रयाग में 82, पौड़ी में 206, अल्मोड़ा में 65, बागेश्वर में 115, चंपावत में 34, पिथौरागढ़ में 168, नैनीताल में 463 और उधमसिंह नगर में 167 लोगों का सत्यापन किया गया। ग्रुप आरपी और साइबर थाना द्वारा भी धोखाधड़ी में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
आईजी लॉ एंड ऑर्डर नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि ऑपरेशन कालनेमि ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है। उत्तराखंड पुलिस किसी भी ऐसे तत्व को बर्दाश्त नहीं करेगी जो देवभूमि की पवित्रता और जनता की आस्था के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास करे। इस अभियान के जरिए पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि समाज और संस्कृति के खिलाफ किए जाने वाले अपराधों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। ऑपरेशन कालनेमि भविष्य में भी लगातार जारी रहेगा।