उत्तराखंड शासन ने भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ा रुख अपनाते हुए पौड़ी जिला पंचायत में तदर्थ रूप से कार्यरत दो कनिष्ठ अभियंताओं की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। जांच में पाया गया कि दोनों अभियंताओं ने निजी लाभ के लिए नियमों का उल्लंघन करते हुए सरकारी पद का दुरुपयोग किया और करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताएं कीं।
पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, सुदर्शन सिंह रावत को 5 अप्रैल 2021 को जिला पंचायत पौड़ी में तदर्थ कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 2023 में निर्माण कार्यों में अनियमितताओं के आरोपों के चलते उन्हें 21 अक्तूबर को निलंबित किया गया था।
जांच में सामने आया कि सुदर्शन सिंह ने प्रभारी अभियंता रहते हुए भवन व होटल के नक्शे स्वयं ही स्वीकृत किए, जो कि उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज नामक फर्म को 1.47 करोड़ रुपये का भुगतान करवाया, जबकि उस फर्म में उनकी पत्नी की 25% हिस्सेदारी थी। इस तथ्य को उन्होंने जिला पंचायत से छुपाया, जो सेवा नियमों का घोर उल्लंघन है।
इसी मामले में तदर्थ कनिष्ठ अभियंता आलोक रावत की सेवाएं भी समाप्त की गई हैं। जांच में खुलासा हुआ कि जिस फर्म को करोड़ों रुपये का भुगतान हुआ, उसमें आलोक रावत की पत्नी की भी 25 फीसदी हिस्सेदारी थी। इसके अलावा उनके भाई अखिलेश रावत पेशे से ठेकेदार हैं, जो शासनादेश दिनांक 1 नवम्बर 1993 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
शासन ने यह निर्णय लिया है कि उक्त दोनों अभियंताओं को पद पर बनाए रखना जनहित में नहीं है। इसलिए दोनों की सेवाएं उनके निलंबन की तिथि से ही समाप्त कर दी गई हैं।
पंचायती राज विभाग ने इस पूरे मामले में सख्ती दिखाते हुए स्पष्ट किया कि सरकारी पद का दुरुपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। शासन स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।