उत्तराखंड सरकार ने अतिक्रमण पर रोक लगाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया है। सैटेलाइट इमेजरी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण की पहचान कर विभागों को तुरंत अलर्ट भेजे जा रहे हैं। इसके आधार पर संबंधित विभाग मौके पर पहुंचकर जांच कर रहे हैं और स्थिति की रिपोर्ट मोबाइल ऐप के माध्यम से भेज रहे हैं।
यूसैक (Uttarakhand Space Application Centre) द्वारा विकसित इस सिस्टम से अब तक **देहरादून, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल सहित कई जिलों में सैकड़ों अलर्ट जारी किए जा चुके हैं।
विभागवार अलर्ट की जानकारी:
देहरादून में –
राजस्व परिषद: 65
नगर निगम: 20
स्वास्थ्य विभाग: 11
खेल विभाग: 6
जल संस्थान, महिला सशक्तीकरण: 4-4
पशुपालन, पिटकुल: 3-3
उद्योग, डोईवाला नगर पालिका, लोनिवि, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, पुलिस: 2-2
रेशम, युवा कल्याण, कौशल विकास, सिंचाई विभाग: 1-1
ऊधमसिंह नगर में –
शिक्षा विभाग: 15
राजस्व परिषद: 14
शहरी विकास निदेशालय: 7
पुलिस, परिवहन, कृषि विपणन परिषद: 2-2
अन्य विभाग जैसे उद्योग, स्वास्थ्य, पंचायती राज, पेयजल निगम, लोनिवि, दुग्ध विकास, सिंचाई, जल संस्थान, यूपीसीएल को 1-1 अलर्ट मिले हैं।
नैनीताल में –
राजस्व परिषद: 2
पंचायती राज, सिंचाई, महिला सशक्तीकरण विभाग: 1-1
यूसैक की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि यह सिस्टम इतना आसान बनाया गया है कि विभागीय अधिकारी सीधे मोबाइल से ही कार्रवाई कर सकते हैं। जब भी किसी स्थान पर अतिक्रमण की आशंका होती है, एआई अलर्ट जारी करता है। टीम मौके पर जाकर वहां की तस्वीरें और वीडियो ऐप पर अपलोड करती है। एआई इन डाटा का विश्लेषण कर स्थिति स्पष्ट करता है और यदि जरूरी हो तो अलर्ट हटा दिया जाता है।
सरकार के पास अब सैटेलाइट के माध्यम से राज्य की सभी खाली पड़ी सरकारी जमीनों की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है। ऐसे में आने वाले समय में जब कोई नया प्रोजेक्ट बनाया जाएगा, तो जमीन की तलाश में समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।