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जल्दी बरसेगा मानसून!… जानिए क्या होंगे असर

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  देश में इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से चार दिन पहले दस्तक दे सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून के 27 मई को केरल तट पर पहुंचने की संभावना जताई गई है, जबकि सामान्यतः मानसून एक जून को केरल में प्रवेश करता है। यह 2009 के बाद भारतीय मुख्य भूमि पर मानसून का सबसे जल्दी आगमन हो सकता है।

मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2009 में मानसून ने 23 मई को दस्तक दी थी। केरल में मानसून की शुरुआत को भारतीय उपमहाद्वीप पर मानसून के आगमन की आधिकारिक तिथि माना जाता है। आमतौर पर मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है और 17 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू करता है। यह वापसी प्रक्रिया 15 अक्टूबर तक पूरी हो जाती है।

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मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि मानसून के जल्दी या देर से आगमन का देश में कुल वर्षा की मात्रा पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि मानसून की गति और विस्तार वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय मौसमीय कारकों पर निर्भर करता है। केरल में जल्दी मानसून पहुंचने का यह अर्थ नहीं है कि देश के अन्य हिस्सों में भी यही प्रवृत्ति देखने को मिलेगी।

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भारतीय कृषि क्षेत्र मानसून पर बहुत हद तक निर्भर करता है। लगभग 42.3% आबादी की आजीविका कृषि पर आधारित है और यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब 18.2% का योगदान करता है। मानसून न केवल खेती के लिए बल्कि देश के प्रमुख जलाशयों को भरने, पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मौसम विभाग ने अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में बताया था कि इस वर्ष मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। विभाग ने “अल नीनो” प्रभाव की आशंका को भी खारिज किया है, जो आमतौर पर कम वर्षा से जुड़ा होता है।

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा है कि इस बार मानसून के दौरान देश में औसतन 105% वर्षा होने का अनुमान है, जो कि 87 सेंटीमीटर की लंबी अवधि के औसत पर आधारित है। मौसम विभाग के अनुसार, यदि वर्षा 96% से 104% के बीच रहती है, तो उसे सामान्य माना जाता है।

हिल दर्पण डेस्क

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