उत्तराखंड के अल्मोड़ा के मारचूला कूपी क्षेत्र में हुए एक भीषण बस हादसे ने हर किसी को हिला कर रख दिया। जैसे ही बस गहरी खाई में गिरी, यात्रियों की चीख-पुकार मच गई और घायलों की चित्कार से वातावरण में सिहरन फैल गई। हादसे के तुरंत बाद, पास के गांवों के लोग मदद के लिए दौड़े, जबकि मरचूला पुलिस को मौके पर पहुंचने में डेढ़ घंटे का वक्त लग गया।
घटनास्थल के पास स्थित गांवों के लोग घटना की भयावहता को महसूस करते हुए तुरंत रेस्क्यू कार्य में जुट गए। धमाके की तेज आवाज ने पहले ही चेतावनी दे दी थी, जिसके बाद गांववाले मौके की ओर दौड़े। गांव के कई लोग, जिनमें कांस्टेबल दिनेश भी शामिल थे, सबसे पहले पहुंचे और रेस्क्यू अभियान की शुरुआत की। उन्होंने बस से बाहर गिर चुके चार लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, और फिर अन्य फंसे हुए यात्रियों को निकालने का काम शुरू किया।
ग्रामीणों की दिलेरी ने हादसे के बाद कई जिंदगियों को बचा लिया। बस में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए शीशे तोड़े गए और दरवाजे को तोड़कर अंदर घुसना पड़ा। ग्रामीणों के अथक प्रयासों और पुलिस की मदद से तीन घंटे के भीतर रेस्क्यू पूरा किया गया।
ग्रामीणों का हौसला और संकल्प देखने लायक था। जैसे ही किसी घायल या मृतक को देखा, उनका दिल पसीज गया और आंसू छलक पड़े, लेकिन फिर भी उन्होंने मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हर व्यक्ति को अपनी जान से ज्यादा दूसरों की जान की चिंता थी। इस पूरी घटना में, ये ग्रामीण ही थे जिन्होंने राहत की सांस दी और कई लोगों की जान बचाई।