उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना पर शासन और केंद्र सरकार की ओर से काम तेज़ी से शुरू कर दिया गया है। इस परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट ने 2015 में मंजूरी दी थी, और 2023 में इसके लिए केंद्र से बजट जारी किया गया। जमरानी बांध से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों को सिंचाई और विद्युत आपूर्ति मिलेगी, साथ ही 14 मेगावाट बिजली उत्पादन भी होगा।
गौला नदी के डायवर्जन के लिए तैयारियां:
बांध निर्माण के लिए सबसे बड़ी चुनौती गौला नदी के प्रवाह को बनाए रखना है, क्योंकि यह नदी परियोजना स्थल के पास बहती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए विभाग ने नदी को कुछ समय के लिए डायवर्ट करने की योजना बनाई है। इसके लिए 750 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण शुरू हो चुका है, जिससे पानी को टनल के माध्यम से दूसरी ओर भेजा जा सके। सिंचाई विभाग ने डायवर्जन टनल और काफर डेम के निर्माण के लिए काम तेजी से शुरू कर दिया है।
तेज गति से काम कर रही सरकार:
सिंचाई सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में जमरानी बांध और देहरादून में सौंग बांध परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। देहरादून परियोजना में 30 परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और संबंधित अनुमति मिल चुकी है। मुख्यमंत्री का लक्ष्य है कि जमरानी बांध 2028 तक पूरा हो, और इसके लिए सभी कार्य तेज़ी से किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार से बजट स्वीकृत:
केंद्र सरकार ने जमरानी बांध परियोजना के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत 1730.20 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, जिसमें 90 प्रतिशत केंद्रीय योगदान और 10 प्रतिशत राज्य का हिस्सा होगा। इसके अलावा, जनवरी 2023 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से प्रभावित वन भूमि को सिंचाई विभाग को सौंपने की अंतिम स्वीकृति भी मिल चुकी है, जिससे निर्माण कार्य में आसानी होगी।
विस्थापन और पुनर्वास:
जमरानी बांध के निर्माण से हल्द्वानी के आसपास के 6 गांव जलमग्न हो जाएंगे, जिससे लगभग 1161 परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। प्रभावित गांवों में हल्द्वानी के तिलवाड़ी, पनियाबोर, पस्तोला, उड़ावा, गनराड और मुरकुड़िया शामिल हैं। राज्य सरकार ने इन परिवारों के पुनर्वास के लिए 300.5 एकड़ भूमि का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे मई 2023 में कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है।
जम्रानी बांध परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास को गति देगी, बल्कि यह उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होगी। हालांकि, इस परियोजना के दौरान स्थानीय लोगों को अपनी ज़मीन और घरों का बलिदान देना पड़ेगा, जैसा कि प्रदेश में कई अन्य विकास परियोजनाओं के दौरान हुआ है, लेकिन यह परियोजना प्रदेश की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।