बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर के स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में कड़ी आपत्ति जताई है।
अदालत ने स्कूल प्रशासन और पुलिस को कठोर फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की और दूसरी पीड़िता के बयान के लिए कोई कदम नहीं उठाया। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस और स्कूल अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे सार्वजनिक आक्रोश बढ़ा। अदालत ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को मामले की त्वरित और विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है और कहा कि पीड़ितों को उचित सहायता प्रदान की जाए।
अदालत ने आगे कहा,“पहली बात, पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। स्कूल अधिकारी चुप थे। यह लोगों को आगे आने से हतोत्साहित करता है। लोगों को पुलिस प्रणाली या न्यायिक प्रणाली पर विश्वास नहीं खोना चाहिए। अगर जनता को सड़कों पर आना पड़ा तो भविष्य के बारे में सोचें।” इसने पुलिस तंत्र के भीतर पुलिस को संवेदनशील बनाने के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया। पीठ ने मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को 27 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया कि उसने लड़कियों और उनके परिवारों के बयान दर्ज करने के बारे में क्या कदम उठाए हैं।
अदालत ने कहा, रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि बदलापुर पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने और दूसरी पीड़िता का बयान दर्ज करने में देरी क्यों हुई। हाई कोर्ट ने कहा, “हम इस बात से हैरान हैं कि बदलापुर पुलिस ने दूसरी लड़की का बयान लेने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।” अदालत ने कहा कि अगर उसे पता चलता है कि मामले को दबाने की कोशिश की गई है तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।
साभार- पीटीआई