उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में स्थित मजार के ध्वस्तीकरण के मामले में याचिका दायर होने के बाद मामले की सुनवाई की। न्यायालय ने इस मामले की जांच करने के लिए दो सदस्यीय एक समिति का गठन किया है और उसे 24 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, कोर्ट ने उधम सिंह नगर जिला प्रशासन को आदेश दिया कि मजार के ऊपर से वाहनों की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाई जाए। मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित की गई है।
रुद्रपुर के इंदिरा चौक के पास स्थित सैय्यद मासूम शाह मियां और सज्जाद मियां की मजार को प्रशासन ने बुलडोजर के माध्यम से हटा दिया था। प्रशासन का कहना है कि मजार प्रस्तावित आठ लेन हाईवे परियोजना में आ रही थी, और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पहले ही मजार के प्रबंधक को नोटिस जारी कर इसे हटाने के आदेश दिए थे। हालांकि, मजार को अन्य स्थान पर शिफ्ट नहीं किया गया, जिसके बाद प्रशासन को मजार को ध्वस्त करने का कदम उठाना पड़ा।
इस मामले में वक्फ अल्लाह ताला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तनवीर आलम खान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान रुद्रपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। सुनवाई में जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि मजार का नाम “हजरत मासूम शाह दरगाह” था और यह वक्फ भूमि पर नहीं बनी थी। उन्होंने बताया कि एनएचएआई द्वारा पहले नोटिस जारी किया गया था, लेकिन प्रबंधक ने इसे हटाया नहीं, जिसके कारण प्रशासन ने मजार को हटाया।
कोर्ट ने इस पर स्पष्ट निर्देश दिए कि मजार को अन्य स्थान पर विस्थापित किया जाए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने मजार को ध्वस्त कर वहां कोलतार बिछा दिया और ट्रैफिक की आवाजाही शुरू कर दी, जबकि पहले रात तक वहां कोई ट्रैफिक नहीं था। इस पर न्यायालय ने जिलाधिकारी और एसएसपी से कहा कि डामरीकरण को रोका जाए और मजार के स्थल पर ट्रैफिक की आवाजाही पर रोक लगाई जाए।
सरकारी अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने कोर्ट को बताया कि इस स्थल से दो हाईवे क्रॉस करते हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित हो रहा था, लेकिन कोर्ट ने फिर भी मजार स्थल पर ट्रैफिक की आवाजाही रोकने का आदेश दिया।