देहरादून। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में घमासान मच गया है। संगठन में इस्तीफा देने की होड़ सी मची हुई है। उत्तराखंड में कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री लक्ष्मी राणा ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। लक्ष्मी राणा पिछले लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ी रही हैं और कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रही हैं। उन्होंने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है।
लक्ष्मी राणा ने ये कदम एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की कार्रवाई के दौरान पार्टी की तरफ से समर्थन नहीं मिलने के कारण उठाया है। वह हरक की करीबी मानी जाती हैं। रुद्रप्रयाग जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी राणा और कांग्रेस के रास्ते अब अलग हो गए हैं। लक्ष्मी राणा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। लक्ष्मी राणा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भेजे अपने त्यागपत्र में ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक विद्वेष के तहत हुई कार्रवाई बताया है और इस दौरान पार्टी का उनके साथ खड़े न होने पर नाराजगी जताई है।
इस बात का जिक्र करते हुए लक्ष्मी राणा ने लिखा है कि, ‘आपको विदित होगा कि हाल ही मेरे घर और प्रतिष्ठान पर राजनीतिक द्वेष के चलते ईडी की छापेमारी की कार्रवाई हुई। हालांकि मैं जानती हूं कि ये कानूनी प्रक्रिया है किंतु पार्टी की तरफ से मेरे खिलाफ इस राजनीतिक द्वेष के बारे में न कोई प्रतिक्रिया आई न ही किसी ने इस दुख की घड़ी में मुझे ढांढ़स बंधाया। लक्ष्मी राणा रुद्रप्रयाग में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहीं हैं। वो तकरीबन तीन दशको से राजनीति में हैं।
अविभाजित यूपी में 1998 में युवा कांग्रेस की महामंत्री रहीं। 1997 से 2001 तक जखोली की ब्लाक प्रमुख रहीं। 2002 से 2007 तक दर्जाधारी रहीं। 2014 से 2019 तक रुद्रप्रयाग की जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। लक्ष्मी राणा ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा। मौजूदा वक्त में वो कांग्रेस की महामंत्री के पद भी थीं। लक्ष्मी राणा को हरक सिंह रावत का बेहद करीबी माना जाता है। हाल ही में ईडी के रडार पर हरक सिंह के आने के बाद लक्ष्मी राणा भी ईडी की कार्रवाई की जद में आ गईं हैं। उन्हे भी पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है।