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हल्द्वानी…..दुष्कर्म के आरोपी मुकेश बोरा को एक और बड़ा झटका, आया ये आदेश

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महिला के साथ दुराचार करने व नाबालिग बच्ची के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपी लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की अग्रिम जमानत दिये जाने प्रार्थनपत्र पर सुनवाई की।

मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने उनकी अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। इससे पहले भी कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक सम्बन्धी प्रार्थनापत्र को खारिज कर दिया था।

आरोपी की तरफ से कहा गया कि उनको अग्रिम जमानत दी जाय। क्योंकि इस मामले में उनको एक षडयंत्र के तहत फंसाया गया है। यह घटना 2021 की है। दो साल आठ माह बीत जाने के अब उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। एफआईआर में कहीं भी छेड़छाड़ का आरोप नहीं है। बयान में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया । इसलिए उनके उपर पोक्सो नही लग सकता। पुलिस ने उनके दोनों घरों का सामान लाकर थाने में जमा कर दिया।

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महिला उन पर बार बार दवाब डाल रही थी कि उसे नियमित किया जाय। जबकि वह संघ की कर्मचारी न होकर मैन पावर सप्लाई करने वाली कम्पनी की कर्मचारी थी। जब उनके द्वारा इस कम्पनी का टेंडर निरस्त किया तो इन्होंने मिलकर इस षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाया गया। जबकि सरकार व पीड़िता की तरफ से इसका विरोध कर कहा कि कुर्की हो चुकी है और अग्रिम जमानत प्रार्थनपत्र सुनने योग्य नहीं है।

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पीड़िता की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी ने 2021 से लेकर अब तक उसका शोषण किया है और बार बार जाने से मारने की धमकी दी जा रही। इसके सारे सबूत उनके पास हैं। अभी तक बोरा ने अपना मोबाइल तक पुलिस को नही दिखाया। बार बार पुलिस को चकमा दे रहे हैं। अपनी गिरफ्तारी से बचने से फरार चल रहे हैं ।

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निचली अदालत में बयान देते हुए नाबालिक ने कहा है कि उसके साथ छेड़छाड़ की है। इसलिए इनके ऊपर पोक्सो की धारा लगती है। इसलिए इनकी अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र को निरस्त किया जाय।

पूर्व में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे जघन्य अपराधों के आरोपी को अंतरिम राहत देने से विवेचना में बाधा पहुंच सकती है और वह सबूत से छेड़छाड़ कर सकता है।

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हिल दर्पण डेस्क

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