गणपति बप्पा मोरया, गणेश चतुर्थी पर देशभर में गणपति जी के जयकारों की गूंज सुनाई देगी। हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन बहुत ही धूमधाम से देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। बहुत ही धूमधाम से देशभर में गणेश उत्सव मनाते हैं। गणेश चतुर्थी से ही इसका शुरुआत हो जाती है और यह अनंत चतुर्दशी तक चलता है।
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी को घर, पंडाल में विराजमान किया जाता है। गणेशजी की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि में वृद्धि होने के साथ ही जीवन में सुख समृद्धि आती है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है।
गणेश चतुर्थी तिथि का आरंभ
पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर में 3 बजकर 2 मिनट से पर आरंभ होगी। चतुर्थी तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम में शाम 5 बजकर 38 मिनट पर। शास्त्रों के विधान के अनुसार, उदया तिथि के हिसाब से गणेश चतुर्थी का व्रत और गणेशजी की स्थापना 7 सितंबर को की जाएगी।
गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त का समय सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 44 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया का समय सुबह 8 बजे से 9 बजकर 33 मिनट तक।
चल चौघड़िया का समय दोपहर में 12 बजकर 38 मिनट से 2 बजकर 11 मिनट तक।
गणेशजी की मूर्ति की स्थापना के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त यही सब हैं। गणेश चतुर्थी के दिन आप इनमें से किसी भी मुहूर्त में गणेशजी को विराजमान कर सकते हैं।
इस समय में भूलकर भी न करें गणेशजी की मूर्ति की स्थापना
राहुकाल में गणेशजी की मूर्ति स्थापना भूलकर भी न करें। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। 7 सितंबर शनिवार के दिन राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 10 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक।
गणेशजी मूर्ति स्थापना की विधि
1) गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद गणेशजी का ध्यान करें। इससे पहले ही मंदिर की अच्छा से साफ सफाई और साज सजावट करें।
2) गणेशजी की मूर्ति की स्थापना से पहले मंडप बनाए। मंडप को फूलों से सजाए अधिक लाल रंग के फूलों का प्रयोग करें। मंडप के पास ही कलश की स्थापना करें। इसके लिए एक कलश में गंगाजल, रोली, चावल, चांदी का सिक्का उसमें डाल दें। इसमें आम के पत्तों का पल्लव डालकर उसपर एक नारियल लाल कपड़े से बांधकर रख दें।
3) मूर्ति की स्थापना से पहले गणेशजी की मूर्ति का पंचामृत से स्नान कराएं। फिर गणेशजी को वस्त्र अर्पित करें। उनका अच्छे से श्रृंगार करें। मूर्ति स्थापना के बाद तीन बार आचमन करें। गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते हुए ‘गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।’ मंत्र का जप करें।
4) गणेशजी को सबसे पहले जनेऊ, चंदन, सुपारी, फल और पीले और लाल रंग के फूल मिठाई अर्पित करें। साथ ही भगवान गणेशजी को 21 दूर्वा चढ़ाए। गणेशजी को इसके बाद कम से कम 21 मोदक का भोग जरूर लगाए।
5) इस दिशा में ही करें गणेशजी की स्थापना : गणेशजी को विराजमान करने के लिए पूर्व दिशा, उत्तर पूर्व दिशा को बहुत ही शुभ माना गया है। इसलिए इन दिशाओं में ही गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करें।