ओमान का उच्चायुक्त बताकर वीआईपी सुविधाएं लेने वाले कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. कृष्ण शेखर राणा को गाजियाबाद की कौशांबी थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी, जो खुद को गल्फ कंट्रीज काउंसिल (जीसीसी) का अंतरराष्ट्रीय पदाधिकारी बताता था, ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को धोखा देने के लिए ओमान के उच्चायुक्त होने का नाटक किया था।
डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल के अनुसार, डॉ. कृष्ण शेखर राणा, जो दिल्ली के लाजपत नगर-4 में रहता है, ने खुद को ओमान के उच्चायुक्त के रूप में प्रस्तुत करके सरकारी सुविधाएं प्राप्त की थीं। वह कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं और 1982 से 2015 तक आगरा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थे। 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह पर्यावरण मंत्रालय की अप्रेजल अथॉरिटी में सलाहकार के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में वह इंडिया जीसीसी ट्रेड काउंसिल नामक एनजीओ के ट्रेड कमिश्नर के रूप में काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य भारत और गल्फ देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है।
हालांकि, राणा ने खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताकर कई सरकारी और वीआईपी सुविधाएं लीं, जैसे सुरक्षा, एस्कॉर्ट और सरकारी भवनों में ठहरने की सुविधाएं। वह इन सुविधाओं के लिए अपने निजी सचिव देव कुमार से वीआईपी प्रोटोकॉल का पत्र जारी कराता था। पुलिस ने देव कुमार की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी है। राणा के पास से एक फर्जी आईडी कार्ड, 42 विजिटिंग कार्ड, फ्लैशर लाइट, राजदूत की फर्जी नंबर प्लेट और मर्सिडीज कार बरामद की गई है।
डीसीपी निमिष पाटिल ने बताया कि राणा के खिलाफ तब शक हुआ जब उसके प्रोटोकॉल पत्र में ओमान का उच्चायुक्त होने का उल्लेख था। दरअसल, ओमान राष्ट्रमंडल देशों का हिस्सा नहीं है, और वहां का राजनयिक राजदूत होता है, न कि उच्चायुक्त। इस खामी को पकड़ते हुए पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, और फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
डॉ. राणा की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया कि कैसे एक व्यक्ति ने अपनी उच्च स्थिति का फायदा उठाकर सरकारी सुविधाओं का गलत तरीके से उपयोग किया। पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है।