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बजट समीक्षा…‘कर’ देने वालों की बल्ले बल्ले तो विनिर्माण क्षेत्र में फोकस

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भारत सरकार ने हाल ही में प्रस्तुत किए गए बजट में टैक्स स्लैब में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनसे देश के आयकर देने वाले व्यक्तियों को बड़ी राहत मिली है। पिछले वर्ष 9 लाख करोड़ का टैक्स देने वाले भारतीय करदाताओं को इस बार विशेष लाभ प्राप्त होगा, जिससे देश के विभिन्न वर्गों के लिए राहत की उम्मीद जगी है। इस बदलाव के तहत, 12 लाख तक की कमाई करने वाले करदाताओं को अब टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा, वेतन या व्यवसायिक आय वाले लोग, जो 12 लाख से अधिक कमाते हैं, उन्हें 22,000 से 1,14,000 रुपये तक का लाभ होगा।

सीए सरोज आनंद जोशी की मानें तो यह बजट सरकार के लिए एक बड़ा जोखिम है क्योंकि इसका अनुमानित असर 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व घाटे के रूप में देखा जा रहा है। सरकार की मंशा इस कदम के पीछे यह है कि टैक्स पेयर की बचत सीधे बाजार में निवेश हो, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आए और शेयर बाजार में आम लोगों की हिस्सेदारी बढ़े। इस बजट में ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस’ शब्द को बार-बार दोहराया गया, जिसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों को राहत देना और आयकर नियमों की जटिलताओं से मुक्ति दिलाना है।

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बजट को ‘ज्ञान (GYAN)’ नाम दिया गया है, जिसमें गरीब, युवा, किसानों और महिलाओं के लिए अलग-अलग योजनाओं की घोषणा की गई है। हालांकि, गरीबों के लिए बजट में स्पष्ट राशि का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन कल्याणकारी योजनाओं को प्रमुखता दी गई है। एक व्यापक ‘ग्रामीण सम्पन्नता और अनुकूलन निर्माण’ कार्यक्रम राज्यों के सहयोग से शुरू किया जाएगा, जिससे कृषि में रोजगार की कमी दूर करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

युवा और रोजगार:

इस बजट का सबसे बड़ा फोकस रोजगार के नए मॉडल पर है। पारंपरिक रोजगार के बजाय, सरकार ने आत्मनिर्भर स्व-रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं। सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में गति लाने के लिए छोटे उद्योगों को ऋण और क्रेडिट कार्ड की सुविधाएं देने का ऐलान किया है। इसके अलावा, महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति उद्यमियों के लिए एक नई योजना भी शुरू की जाएगी, जिसके तहत पांच लाख महिला और अन्य उद्यमियों को अगले पांच वर्षों में 2 करोड़ रुपये तक का सावधि ऋण मिल सकेगा।

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भारत को ‘वैश्विक खिलौना केंद्र’ बनाने के लिए राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना की भी घोषणा की गई है, जिससे इस क्षेत्र में भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

किसान और कृषि:

इस बजट में किसानों की आय दोगुनी करने की योजना तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन सिंचाई सुधारों और ‘धन धान्य कृषि योजना’ की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही, ‘दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन’ की भी शुरुआत की जाएगी। एमएसपी पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई, लेकिन केसीसी ऋण की सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है, जो किसानों के लिए एक राहत की बात है।

महिलाओं के लिए बजट:

महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा नहीं की गई, लेकिन महिला उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऋण सुविधाएं और अवसर दिए गए हैं।

स्वास्थ्य और शिक्षा:

विकसित भारत के निर्माण के उद्देश्य से, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। हालांकि, आयुष्मान भारत योजना के तहत मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सीटों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है। 200 डे केयर कैंसर केंद्रों की स्थापना भी बजट का हिस्सा है, लेकिन इन दोनों क्षेत्रों के लिए बजट आबंटन की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।

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अन्य प्रमुख घोषणाएं:

वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर कर कटौती की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया गया है। इसके अलावा, 2022 के बाद जिनकी आईटीआर छूट गई थी, उन्हें अब चार साल में इसे अपडेट करने का मौका मिलेगा।

आर्थिक चुनौतियाँ:

वर्तमान में भारत की प्रमुख आर्थिक चुनौतियों में मध्य और निम्न वर्ग के व्यवसायियों को राहत देना, स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करना, बढ़ती महंगाई और विनिर्माण क्षेत्र को चीन से प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाना शामिल हैं। सरकार का दावा है कि 80 करोड़ गरीबों को राशन मिल रहा है, लेकिन यह दबाव मुख्य रूप से मध्य वर्ग पर ही पड़ता है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि और जीडीपी में वृद्धि को बढ़ावा देना है, लेकिन यह देखना होगा कि इन योजनाओं का निष्पादन और कार्यान्वयन कैसे होता है।

हिल दर्पण डेस्क

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