उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक मामले ने राज्य की राजनीति को पूरी तरह हिला दिया है। जहां एक ओर युवा और विपक्षी दल इस घोटाले के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं, वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटनाक्रम को “नकल जिहाद” करार देते हुए एक नई बहस छेड़ दी है। सीएम धामी का यह बयान न सिर्फ विरोधियों को आक्रोशित कर गया, बल्कि इससे राज्य में ‘जिहाद’ शब्द को लेकर एक बार फिर सियासी माहौल गरमा गया है।
सीएम धामी इससे पहले भी “लव जिहाद”, “लैंड जिहाद” और “थूक जिहाद” जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। अब जब भर्ती परीक्षाओं में धांधली का मुद्दा सामने आया है, तो उन्होंने इसे “नकल जिहाद” का नाम दिया है। उनका आरोप है कि कोचिंग माफिया और नकल गिरोह मिलकर राज्य की कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने साफ कहा है कि सरकार ऐसे “नकल जिहादियों” को खत्म करने तक चुप नहीं बैठेगी।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि भाजपा सरकार जब युवाओं के सवालों का जवाब नहीं दे पाती, तो ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक शब्दों का सहारा लेती है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर भाजपा जनता को असली मुद्दों से दूर कर रही है।
भाजपा की तरफ से विधायक विनोद चमोली ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि जब कांग्रेस के नेता हरीश रावत हर आंदोलन को जिहाद बता सकते हैं, तो भाजपा भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई को जिहाद क्यों नहीं कह सकती? उन्होंने कहा कि जिहाद अब एक ऐसा प्रतीक बन गया है, जो देशविरोधी और व्यवस्था-विरोधी गतिविधियों से जोड़ा जाता है।
इस पूरे घटनाक्रम में जहां एक तरफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, वहीं असली सवाल यह है कि क्या “नकल जिहाद” जैसे शब्दों से भ्रष्टाचार खत्म होगा? या फिर यह शब्द केवल सियासी रणनीति बनकर रह जाएगा? उत्तराखंड का युवा जवाब मांग रहा है — नारे नहीं, निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया चाहता है।