उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो वोटर लिस्ट मतदाताओं को चुनाव लड़ने और वोट डालने से रोकने वाले नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग की परेशानी बढ़ गई है। हाईकोर्ट के इस आदेश के कारण आयोग अब चुनाव की स्थिति को लेकर उलझन में है। वह अब हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है।
हाईकोर्ट ने 11 जुलाई को सुनाए आदेश में कहा है कि जिन लोगों के नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में हैं, वे पंचायत चुनाव में प्रत्याशी नहीं बन सकते और न ही वोट दे सकते हैं। यह आदेश पंचायत चुनाव के नामांकन और नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आया है, जिससे चुनाव आयोग की तैयारियों पर सवाल उठने लगे हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने रविवार को हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर अपना पक्ष रखने का प्रयास किया है। आयोग का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेश को समझने और उसकी विधिक समीक्षा कराने में लगा हुआ है, ताकि चुनाव प्रक्रिया में उचित कदम उठाए जा सकें।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल ने बताया कि आदेश की गहराई में जाकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए हाईकोर्ट से विधिक राय ली जा रही है। वहीं, पंचायत प्रतिनिधि अमरेंद्र बिष्ट ने आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि आयोग को स्वतंत्र होकर हाईकोर्ट के आदेश को समझना चाहिए।
अब हाईकोर्ट के समक्ष आयोग की सुनवाई के बाद ही स्पष्ट होगा कि इस आदेश का पंचायत चुनाव पर क्या असर पड़ेगा। इस बीच, चुनाव आयोग की तैयारियां और भी जटिल हो गई हैं, जबकि पंचायत चुनाव की तारीख नजदीक है।