भा.ज.पा. संगठन में गुटबाजी और विधायकों के असंतोष के सुर उभरकर सामने आए हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा और इसके कुछ समय बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी चर्चा की। राज्य में पिछले कई महीनों से हो रही हिंसा और उनकी नेतृत्व क्षमता को लेकर पार्टी में बढ़ते असंतोष के कारण मुख्यमंत्री पर दबाव बढ़ रहा था। भाजपा के कई विधायक उनसे नाराज थे और पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे थे। भाजपा सूत्रों के अनुसार, करीब 12 विधायक इस बदलाव के पक्ष में थे।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के दौरान उनके साथ राज्य भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा, भाजपा सांसद संबित पात्रा और कम से कम 14 विधायक भी मौजूद थे। बीरेन सिंह ने राज्यपाल को अपने इस्तीफे में लिखा कि उन्होंने मणिपुर के विकास और समृद्धि के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें केंद्रीय सरकार की मदद से विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है। उन्होंने केंद्र सरकार के समय पर हस्तक्षेप और मार्गदर्शन का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के कारण
मणिपुर में केंद्रीय गठबंधन के घटक दलों के बावजूद भाजपा के पास बहुमत था, लेकिन पार्टी के कुछ विधायकों ने सार्वजनिक रूप से नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। इसके परिणामस्वरूप, अगर फ्लोर टेस्ट होता तो इन असंतुष्ट विधायकों द्वारा पार्टी व्हिप का उल्लंघन होने की संभावना थी, जिससे सरकार के लिए संकट पैदा हो सकता था। इस स्थिति से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
दिल्ली में अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात
आज सुबह दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस बैठक में मणिपुर की राजनीतिक स्थिति और संभावित विकल्पों पर चर्चा की गई। भाजपा सूत्रों के अनुसार, करीब 12 विधायक नेतृत्व परिवर्तन के पक्ष में थे जबकि कुछ विधायक तटस्थ रुख अपनाए हुए थे। इसके अलावा, मुख्यमंत्री और स्पीकर के बीच मतभेद भी इस्तीफे की एक और वजह मानी जा रही है।
बीरेन सिंह का इस्तीफा भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और यह मणिपुर में पार्टी के नेतृत्व को फिर से संकलित करने के लिए एक नई शुरुआत का संकेत दे सकता है।