आईपीएस कैडर के अफसर पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें डिमोशन दे दिया गया है। यह कार्रवाई राजस्थान के इतिहास में पहला मौका है जब किसी अधिकारी को प्रमोशन देने के बजाय डिमोट किया गया है। यह कार्रवाई पंकज चौधरी पर पारिवारिक मामले की जांच के बाद की गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्मिक विभाग की जांच के बाद उन्हें 3 साल के लिए डिमोट किया गया है।
आईपीएस पंकज चौधरी 2009 बैच के अधिकारी हैं और वे पहले पुलिस सुपरिटेंडेंट (लेवल 11) के पद पर थे। अब उन्हें लेवल 10 की कनिष्ठ वेतन श्रेणी में डिमोट कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि उनका नया पदनाम पुलिस सुपरिटेंडेंट (लेवल 10) होगा। इससे पहले वे पुलिस अधीक्षक कम्युनिटी पुलिसिंग, पुलिस मुख्यालय जयपुर में तैनात थे।
उनके डिमोट होने का कारण एक पारिवारिक विवाद था, जो पहले कोर्ट में चला गया था। आरोप था कि पंकज चौधरी ने अपनी पहली पत्नी से तलाक दिए बिना ही दूसरी शादी कर ली थी। हालांकि, कोर्ट में पंकज चौधरी ने यह साबित किया कि उन्होंने तलाक लेने के बाद ही दूसरी शादी की थी और इस मामले में उन्हें बरी कर दिया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले की विभागीय जांच की और इसके बाद उन्हें डिमोट करने का फैसला लिया।
पंकज चौधरी का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। जैसलमेर के एसपी रहते हुए उन्होंने गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोली थी, जिसके कारण उन्हें तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। इसी तरह, बूंदी एसपी रहते हुए भी वसुंधरा राजे सरकार ने सांप्रदायिक दंगों के कारण उन्हें पद से हटा दिया था।