उत्तराखंड में हाल ही में हुए जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख चुनावों के दौरान हुई हिंसा और फायरिंग को लेकर सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। नैनीताल के बेतालघाट और अल्मोड़ा के द्वाराहाट में हुई घटनाओं के बाद कांग्रेस ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि उत्तराखंड निर्वाचन आयोग द्वारा भवाली के क्षेत्राधिकारी प्रमोद साह के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और बेतालघाट के थानाध्यक्ष अनीस अहमद के निलंबन की संस्तुति की गई है, लेकिन यह कदम अपर्याप्त और केवल दिखावटी है।
आर्य का कहना है कि बेतालघाट की हिंसा के लिए ज़िम्मेदारी सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों पर डालना उचित नहीं है। उन्होंने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा को हिंसा और कानून-व्यवस्था की विफलता का मुख्य दोषी ठहराते हुए उन्हें तत्काल पद से हटाने और निलंबित करने की मांग की है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 14 अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान SSP मीणा ने न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की। आर्य ने कहा, मीणा ने पांच दिन पुराने स्टांप पेपर पर शपथ पत्र दाखिल किया, जिस पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने तीखी टिप्पणी की। इससे साफ है कि वे कानून से ऊपर उठकर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं।”
कांग्रेस नेता ने अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट में भी चुनाव के दौरान हुई हिंसा का हवाला देते हुए वहां के पुलिस प्रशासन को नाकामी का दोषी ठहराया। उन्होंने मांग की कि अल्मोड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समेत अन्य जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को भी पदों से हटाया जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
उधर, चुनाव में हिंसा और धांधली के आरोपों से जुड़ा मामला हाईकोर्ट में लंबित है, जिसकी अगली सुनवाई 19 अगस्त को होनी है। राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे को लेकर सरगर्मी तेज है।