उत्तराखंड में सिख धर्म के पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख हेमकुंड साहिब के कपाट शनिवार को श्रद्धालुओं के लिए विधिवत रूप से खोल दिए गए। समुद्र तल से करीब 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस धार्मिक स्थल के कपाट खुलते ही लोकपाल घाटी एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और आस्था के रंगों से सराबोर हो गई।
कपाट खुलने से पूर्व गुरुद्वारे को करीब 7 क्विंटल फूलों, रंग-बिरंगे गुब्बारों, तोरण पताकाओं और पुष्पमालाओं से भव्य रूप में सजाया गया। चारों ओर फैली सप्तश्रृंगी बर्फीली चोटियां और पूरी तरह से जमी हुई हिम झील (सरोवर) का दृश्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रदान कर रहा है।
हेमकुंड साहिब को दशम गुरु श्री गोविंद सिंह जी की तपस्थली माना जाता है। श्रद्धालु गोविंदघाट से लगभग 15 किलोमीटर लंबा ‘गुरु आस्था पथ’ तय कर यहां पहुंचते हैं। यात्रा मार्ग की सभी तैयारियां पूर्व में पूरी कर ली गई थीं। मार्ग पर सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पेयजल और विश्राम स्थलों सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
अब तक हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए 75,000 से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं, जबकि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी जारी है। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए डंडी-कंडी, पालकी, घोड़ा-खच्चर जैसी सुविधाएं भी उचित दरों पर एडीसी भ्यूंडार के माध्यम से उपलब्ध हैं।
गोविंदघाट गुरुद्वारे के पास अलकनंदा नदी पर बने नए पुल ने यात्रा को और भी सुगम बना दिया है। हालांकि श्रद्धालुओं को पुलना गांव तक कुछ दूरी पैदल तय करनी होगी, इसके बाद वे छोटे वाहनों की सहायता से आगे बढ़ सकते हैं।
हर वर्ष की तरह इस बार भी हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा यात्रा को सुरक्षित, व्यवस्थित और सुगम बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।