उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उधम सिंह नगर जिले के किच्छा स्थित सिरौलीकलां क्षेत्र में नगर पालिका चुनाव न कराए जाने के मामले में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि जब सभी प्रक्रियाएं मानकों के अनुरूप पूरी हो चुकी थीं, तब सिरौलीकलां में नगर पालिका चुनाव अन्य क्षेत्रों के साथ एक साथ क्यों नहीं कराए गए।
कोर्ट ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही क्षेत्र का डी-नोटिफिकेशन कर मतदाता सूची दुरुस्त कर सरकार को रिपोर्ट सौंप चुका था, फिर भी सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। अदालत ने सरकार को अगली सुनवाई तक इस संबंध में लिए गए निर्णय की जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
यह जनहित याचिका सिरौलीकलां ग्राम निवासी मोहम्मद यासीन और अन्य ने दायर की है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वर्ष 2018 में किच्छा नगर पालिका का विस्तारीकरण हुआ था, जिसमें सिरौलीकलां, बंडिया, देवरिया और आजादनगर को शामिल किया गया था। उसी वर्ष नगर पालिका चुनाव भी हुए, जिनमें सिरौलीकलां क्षेत्र के तीन वार्ड—18, 19 और 20—को शामिल किया गया था। बाद में वार्ड नंबर 17 के कुछ हिस्सों को हटाया गया, जिसे बाद में अदालत के आदेश पर पुनः शामिल किया गया।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सिरौलीकलां पिछले छह वर्षों से नगर पालिका क्षेत्र का हिस्सा है और यहां करीब पाँच करोड़ रुपये के विकास कार्य भी हो चुके हैं। इसके बावजूद अब इस क्षेत्र को नगर पालिका से पृथक करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने मांग की है कि सिरौलीकलां को किच्छा नगर पालिका में ही रखा जाए और यहां भी अन्य नगर पालिकाओं की तरह कार्यकाल समाप्त होते ही चुनाव कराए जाएँ। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद फिलहाल प्रशासक नगर पालिका का संचालन कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य ठप पड़े हैं।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगली तिथि तक अपनी स्थिति स्पष्ट करे और बताए कि सिरौलीकलां क्षेत्र में नगर पालिका चुनाव कब तक कराए जाएंगे।


