उत्तराखंड में जिला पंचायत में प्रशासक पद की नियुक्ति को लेकर भाजपा के भीतर घमासान मच गया है। चमोली जनपद के जिला पंचायत में प्रशासक के रूप में नियुक्ति को लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बीच विवाद जारी है। इस पूरे मामले में कांग्रेस ने भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस विवाद को सार्वजनिक किया और भाजपा सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए।
गरिमा मेहरा ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शासन में सुचिता और पारदर्शिता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, लेकिन चमोली जिला पंचायत में जिस तरह से प्रशासक पद की नियुक्ति की गई है, वह भाजपा के दोहरे मानदंडों को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार और संगठन ने पहले रजनी भंडारी पर नंदा राजजात यात्रा में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए थे और इसके खिलाफ न्यायालय में भी मामला दायर किया था। हालांकि, अब वही सरकार रजनी भंडारी के पति, राजेंद्र भंडारी के भाजपा में शामिल होने के बाद रजनी भंडारी की सबसे बड़ी पैरोकार और संरक्षक बन गई है। गरिमा ने सवाल किया कि अगर रजनी भंडारी पर पहले आरोप थे, तो अब भाजपा सरकार को उन्हें संरक्षक मानने का क्या कारण है?
इसके साथ ही गरिमा मेहरा ने यह भी बताया कि जब पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हुआ और कई पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया, तब भाजपा के ही नेता और चमोली जिला पंचायत के उपाध्यक्ष, लक्ष्मण सिंह रावत ने पंचायती राज मंत्री और सचिव को पत्र लिखकर यह सवाल उठाया था कि जिस व्यक्ति पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उसे प्रशासक पद पर कैसे नियुक्त किया जा सकता है?
गरिमा ने इसके बाद सीधे सवाल किया कि चमोली जिला पंचायत में प्रशासक के तौर पर जिलाधिकारी चमोली को किस नियम और प्रक्रिया के तहत नियुक्त किया गया? इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरते हुए पारदर्शिता और सुचिता की कमी का आरोप लगाया है।
इस पूरे मामले ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ले लिया है, और आगामी दिनों में यह देखना होगा कि भाजपा अपने कार्यों और निर्णयों के संदर्भ में कैसे प्रतिक्रिया देती है।