हाल ही में कई लोगों को ई-मेल के जरिए ‘चाइल्ड पॉर्न’ देखने के आरोप में दोषी ठहराए जाने के संदर्भ में नोटिस मिले हैं। इन नोटिसों में कहा गया है कि अगर 24 घंटे में जवाब नहीं दिया गया, तो एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की जाएगी।
ये नोटिस इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, साइबर क्राइम के चीफ ऑफ पुलिस प्रशांत गौतम, इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर के सीईओ राजेश कुमार और सेक्रेटरी दीपक विरमानी जैसे अधिकारियों के नाम से भेजे गए हैं।
हालांकि, गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट ने इस नोटिस को फर्जी घोषित किया है। यह नोटिस साइबर अपराधियों की एक नई ठगी की तकनीक है, जो हजारों लोगों को तनाव में डाल चुकी है। कई लोगों ने इस नोटिस के डर से अपनी ई-मेल आईडी इन-एक्टिव कर दी या मेल डिलीट कर दी, जिससे वे तो बच गए लेकिन लंबे समय तक तनाव में रहे।
साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर, लोगों को सतर्क रहना और किसी भी संदिग्ध ई-मेल पर प्रतिक्रिया देने से पहले आधिकारिक स्रोत से पुष्टि करनी चाहिए। पुलिस को भी इस प्रकार की धोखाधड़ी की जानकारी देने के लिए कहा गया है।