जेल में बंद एक व्यक्ति की जालसाजी के जरिए गाड़ी का ट्रांसफर कराने के आरोप में उत्तरप्रदेश की गोंडा नगर कोतवाली पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन परसपुर थानाध्यक्ष और आरटीओ ऑफिस के कर्मचारियों समेत पांच लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि आरोपियों ने मिलकर गाड़ी का ट्रांसफर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया।
यह मामला उस समय सामने आया जब उमाशंकर शुक्ला, निवासी ग्राम साकीपुर थाना नवाबगंज ने कोर्ट में इंसाफ की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि उनके बेटे विपिन कुमार शुक्ला ने एक बुलेट खरीदी थी, जिसका पंजीकरण उनके नाम पर था। 21 फरवरी 2022 को कुछ पुलिसकर्मी खुद को एसओजी से बताते हुए उनके घर आए और कहा कि विपिन के खिलाफ थाना परसपुर में मामला दर्ज है, जिसे पूछताछ के लिए बुलाया गया। बाद में विपिन अपने साथी दिनकर शुक्ला के साथ मोटरसाइकिल से थाने पहुंचा।
आरोप है कि परसपुर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष संदीप सिंह, लक्ष्मी शंकर पाण्डेय, और मनोज कुमार पाण्डेय ने मिलकर एक झूठे मुकदमे में विपिन को फंसाया और उसे जेल भेज दिया। इसके बाद गिरफ्तारी प्रपत्र पर हस्ताक्षर करवा कर सादे कागजातों पर भी दबाव डालकर उनके हस्ताक्षर भी करवाए गए।
2022 के मार्च माह के अंत में पीड़ित जब थाने में अपने बेटे के बारे में पूछताछ करने गया तो उसे पता चला कि इन लोगों ने मिलकर जालसाजी करते हुए, कूटरचित दस्तावेज तैयार किए और 23 फरवरी 2022 को गाड़ी का ट्रांसफर कर दिया, जबकि विपिन उस समय जिला कारागार में बंद था।
नगर कोतवाल संतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर परसपुर थानाध्यक्ष संदीप सिंह, आरटीओ के लिपिक रमेश कुमार, आरआई संजय कुमार, मनोज कुमार पाण्डेय, और लक्ष्मीकांत पाण्डेय के खिलाफ जालसाजी और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।