देशभर में होने वाले चुनावों में बैलेट पेपर की वापसी की मांग करने वाली एक याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालय विचार कर चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग पर पहले से ही निर्णय हो चुका है और इसे दोहराना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
यह याचिका उपेंद्र नाथ दलाई नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि जनता का ईवीएम पर से भरोसा उठ चुका है और इससे निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। उन्होंने मांग की थी कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि भविष्य में केवल बैलेट पेपर के जरिए ही मतदान कराया जाए।
हालांकि, अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है जिस पर सुनवाई की जा सके। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि चुनाव आयोग ने ईवीएम की पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर पर्याप्त कदम उठाए हैं। साथ ही, वीवीपैट (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीनों के माध्यम से वोटिंग प्रक्रिया को और अधिक विश्वसनीय बनाया गया है।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना अनुचित है और इससे न्यायिक व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।