उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में प्राकृतिक आपदाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। यमुना घाटी के स्यानाचट्टी क्षेत्र में भारी मलबा आने से यमुना नदी का बहाव अवरुद्ध हो गया है, जिससे एक बड़ी कृत्रिम झील बन गई है। इस झील का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं और स्थानीय लोगों में भय का माहौल है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी प्रशांत आर्य, यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल और संबंधित विभागों की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वास्थ्य, राजस्व, पुलिस, खाद्य आपूर्ति और लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने स्थानीय निवासियों से संयम बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ सभी सुरक्षात्मक उपाय कर रहा है और झील को नियंत्रित ढंग से खोलने की तैयारी जारी है।
संभावित खतरे को देखते हुए प्रशासन ने स्यानाचट्टी क्षेत्र से लगभग 60 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। कुथनौर और खरादी जैसे निचले इलाकों के लोग भी एहतियातन अपने मूल गांवों – स्यालना, पुजारगांव, पाली और भंसाड़ी – की ओर लौटने लगे हैं।
गुरुवार को साफ मौसम के बावजूद कुपड़ा खड्ड से एक बार फिर मलबा और बड़े-बड़े पत्थर बहकर आने से झील का आकार और बढ़ गया है। अब यह झील करीब 400 मीटर लंबी और 300 मीटर चौड़ी हो गई है। जलस्तर इतना बढ़ गया है कि यमुनोत्री हाईवे का पुल आंशिक रूप से डूब चुका है, जिससे राहत व बचाव टीमों को आगे बढ़ने में बाधा आ रही है।
इलाके में लगातार बारिश की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। SDRF और NDRF की टीमें पूरे क्षेत्र पर नजर बनाए हुए हैं। झील के जलस्तर और नदी के प्रवाह पर निरंतर निगरानी की जा रही है। प्रशासन की प्राथमिकता झील को सुरक्षित तरीके से खोलना और जनजीवन को सामान्य बनाए रखना है।