उत्तराखंड में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी, संविदा, तदर्थ, अंशकालिक और नियत वेतन वाले कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस मामले को अब राज्य कैबिनेट में रखने की तैयारी हो रही है। हाल ही में मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें सचिव कार्मिक शैलेश बगौली और सचिव दिलीप जावलकर सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में पहली बार नियमितीकरण की नियमावली बनाई थी, जिसमें 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को स्थायी करने का प्रावधान था। बाद में 2013 में संशोधित नियमावली लाकर सेवा अवधि को घटाकर 5 साल कर दिया गया। हालांकि, 2018 में इस संशोधन को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। अदालत ने फरवरी 2024 में आदेश जारी करते हुए सेवा अवधि को पुनः 10 साल करने का निर्देश दिया।
अब धामी सरकार 2013 की नियमावली में संशोधन कर 5 साल की सेवा की शर्त को दोबारा 10 साल करने पर विचार कर रही है। यदि यह प्रस्ताव कैबिनेट में पारित होता है, तो केवल वही कर्मचारी नियमितीकरण के पात्र होंगे, जिन्होंने 2018 से 10 साल पहले सेवा प्रारंभ की थी।
इसके साथ ही उपनल और आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर भी समान मामला विचाराधीन है। हाईकोर्ट ने इन कर्मचारियों के लिए भी नियमावली तैयार करने का निर्देश दिया है। इस पर काम करने के लिए प्रमुख सचिव वित्त आर. के. सुधांशु की अध्यक्षता में एक अलग कमेटी का गठन किया गया है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह फैसला बड़ा असर डाल सकता है और हजारों कर्मचारियों की नियमितीकरण की राह साफ हो सकती है।