हल्द्वानी। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिले में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी ललित मोहन रयाल ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा कि पुनरीक्षण के दौरान किसी मतदाता को असुविधा न हो, इसके लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहेगा।
रयाल ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के प्रावधानों के तहत पूर्व में देशभर में 11 बार एसआईआर हो चुका है, जबकि उत्तराखंड में अंतिम बार यह प्रक्रिया वर्ष 2003 में आयोजित की गई थी। इस बार आयोग ने उत्तराखंड को तीसरे चरण में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 की सूची में जिनका नाम नहीं है, उन्हें अपनी पात्रता सिद्ध करने हेतु आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
जिलाधिकारी ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 3 के अनुसार नागरिकता की तीन श्रेणियों और एसआईआर के लिए मान्य दस्तावेजों की जानकारी दी। साथ ही स्पष्ट किया कि आधार कार्ड नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं माना जाएगा।
उन्होंने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की भूमिका पर जोर देते हुए राजनीतिक दलों से 20 दिसंबर तक बीएलए-1 और बीएलए-2 की सूची उपलब्ध कराने को कहा। अब तक भाजपा और कांग्रेस ने बीएलए-1 नियुक्त किए हैं, जबकि भाजपा ने 212 बीएलए-2 की नियुक्ति भी की है।
एसआईआर के सुचारू संचालन के लिए बूथ अवेयरनेस ग्रुप का गठन किया जा रहा है, जिसमें बीएलओ सुपरवाइज़र, बीएलओ, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी/मनरेगा कर्मी तथा राजनीतिक दलों के बीएलए शामिल होंगे। बैठक में मौजूद दलों के प्रतिनिधियों की शंकाओं का समाधान भी प्रशासन ने किया।


