‘रूह अफजा‘ के निर्माता हमदर्द के खिलाफ जारी किए गए आपत्तिजनक वीडियो मामले में योग गुरु बाबा रामदेव को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह ‘रूह अफजा’ के निर्माता हमदर्द के खिलाफ जारी किए गए आपत्तिजनक वीडियो को सभी सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म से 24 घंटे के भीतर हटा दें। कोर्ट ने इस मामले में प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी मानते हुए उन्हें तलब किया है और अवमानना नोटिस जारी किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने गुरुवार को दिया। कोर्ट हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बाबा रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड द्वारा कथित आपत्तिजनक और सांप्रदायिक बयानबाजी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
‘शरबत जिहाद’ टिप्पणी बनी विवाद की जड़
इससे पहले बाबा रामदेव ने हमदर्द के लोकप्रिय पेय ‘रूह अफजा’ के खिलाफ कथित तौर पर ‘शरबत जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए एक वीडियो जारी किया था, जिसे लेकर कोर्ट ने पहले ही उन्हें निर्देश दिया था कि वे भविष्य में प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी या प्रचार न करें।
कोर्ट का सख्त रुख, हलफनामे पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान हमदर्द के वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने अदालत को बताया कि रामदेव ने कोर्ट के आदेश के बावजूद एक नया आपत्तिजनक वीडियो जारी किया है, जिसे अब तक लगभग 8.9 लाख बार देखा जा चुका है। उन्होंने वीडियो को ‘सांप्रदायिक’ बताते हुए कहा कि यह उपभोक्ताओं के बीच धार्मिक विभाजन पैदा करने का प्रयास है।
न्यायमूर्ति बंसल ने कहा कि यह वीडियो और रामदेव द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा, जिसमें उन्होंने कानून का पालन करने का दावा किया था, अदालत की नजर में अवमानना की श्रेणी में आता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह का आचरण स्वीकार्य नहीं है।
रामदेव की दलील: अधिकतम मानहानि का मामला
रामदेव और पतंजलि की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और जयंत मेहता ने तर्क दिया कि यह मामला अधिकतम मानहानि का हो सकता है, न कि अवमानना का। उन्होंने कहा कि वीडियो में किसी कंपनी का अपमान नहीं किया गया और आदेश के अनुसार वीडियो हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
वीडियो में लगाए गए गंभीर आरोप
हमदर्द के वकील ने दावा किया कि रामदेव ने अपने ‘गुलाब शरबत’ का प्रचार करते हुए आरोप लगाया कि ‘रूह अफजा’ से कमाया गया पैसा मदरसों और मस्जिदों के निर्माण में खर्च किया जा रहा है। उन्होंने इस प्रचार को सांप्रदायिक और भ्रामक करार दिया।
अगली सुनवाई 2 मई को
दिल्ली हाई कोर्ट ने रामदेव को एक सप्ताह के भीतर अपने आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 2 मई तय की है।