आईआईटी रुड़की और राज्य सरकार के सहयोग से आपदा प्रबंधन विभाग ने भूकंप के खतरे से निपटने के लिए एक नई चेतावनी प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली के तहत, भूकंप की प्रारंभिक तरंगों के निकलने से पहले ही, वैज्ञानिक विधियों से भूकंप का अनुमान लगाकर लोगों को 15 से 30 सेकेंड पहले सतर्क किया जा सकेगा। यह चेतावनी भूदेव एप और सायरन के माध्यम से दी जाएगी, जिससे लोग सुरक्षित स्थानों पर समय रहते पहुंच सकेंगे।
आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान केंद्र और आपदा जोखिम एवं न्यूनीकरण विभाग के प्रो. कमल ने बताया कि भूकंप का पूर्वानुमान तो संभव नहीं है, लेकिन भूकंप से बचने के उपायों पर काम किया जा रहा है। वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने इस दिशा में संस्थान को जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसके तहत यह काम शुरू किया गया।
इस परियोजना के तहत राज्यभर में 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं। जब भूकंप आता है, तो उसमें दो प्रकार की तरंगें निकलती हैं – प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी तरंग तेज होती है, जबकि सेकेंडरी तरंग की गति कम होती है, लेकिन यह अधिक घातक होती है।
भूदेव एप के माध्यम से, जैसे ही प्राइमरी तरंग का पता चलेगा, सेंसर तुरंत इसकी जानकारी प्रदान करेंगे। फिर यह सूचना इंटरनेट के जरिए भूदेव एप और सायरन तक पहुंच जाएगी। एप में आने वाली चेतावनी से लोग भूकंप की तीव्रता के 5 या उससे अधिक होने पर सतर्क हो सकेंगे और उन्हें 15 से 30 सेकेंड का समय मिलेगा।
भूदेव एप को प्ले स्टोर और एप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है और यह सेवा राज्य के भीतर काम करेगी। यह तकनीकी पहल लोगों को भूकंप के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी और जानमाल के नुकसान को कम करने में सहायक साबित होगी।