इवेंट उत्तराखण्ड ऊधमसिंह नगर

आईपीआर के विकसित परिदृश्य और आज के समय में इसके महत्व पर चर्चा

खबर शेयर करें -

यूएसनगर/दिनेशपुर। सहयोग फाउंडेशन द्वारा वैश्वीकृत तकनीकी दुनिया का हिस्सा बनने के लिए, बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता पैदा करने और नवाचार की संस्कृति बनाने पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के सहयोगी उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), देहरादून थे।

यहां उधमसिंह नगर जिले के दिनेशपुर में जिला संस्थान, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन परिसर में आयोजित कार्यशाला में आईपीआर के विकसित परिदृश्य और आज के समय में इसके महत्व पर चर्चा करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और तराई के छात्र प्रतिभागियों को एक साथ लाया गया। कार्यशाला में पारंपरिक ज्ञान और जमीनी स्तर पर नवाचार, पेटेंट, पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रियाओं और उल्लंघनों के बारे में जागरूकता पैदा कराने, ट्रेडमार्क- पंजीकरण और उल्लंघन, कॉपीराइट-उपयोग और उल्लंघन, जीआई टैग-उत्तराखंड के संदर्भ में महत्व तथा नवप्रवर्तन की संस्कृति विषयों पर बेहतर जानकारी प्रदान कराई गई।

कार्यक्रम की शुरुआत सहयोग फाउंडेशन की अध्यक्ष अंजू भट्ट के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने मुख्य संरक्षक के रूप में अजीम प्रेम जी स्कूल दिनेशपुर के प्रिंसिपल नवनीत बेदार, विशेषज्ञों के पैनल, एपीएफ के संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। अपने संबोधन में कार्यक्रम समन्वयक निर्मल न्योलिया ने इस बात पर जोर दिया कि आईपीआर को समझना उनके नवाचारों और नए विचारों के लिए पेटेंट हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो उनके भविष्य के प्रयासों में फायदेमंद होगा। उन्होंने व्यवसायों और व्यक्तियों के बीच आईपीआर के बारे में अधिक जागरूकता और समझ की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके नवाचार और रचनाएं पर्याप्त रूप से संरक्षित हैं।

यह भी पढ़ें 👉  खींच मेरी फोटो.....वरमाला के स्टेज पर दे दनादन, मची अफरा-तफरी

नवनीत बेदार ने छात्रों को अपना आशीर्वाद दिया और नवाचार को बढ़ावा देने और रचनाकारों के अधिकारों की सुरक्षा में बौद्धिक संपदा के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। कार्यशाला में डॉ. नरेंद्र सिंह, सहायक प्रोफेसर गणित एम.बी. पी.जी. कॉलेज हल्द्वानी, डॉ. कमल सिंह रावत, सीईओ, एसीआईसी देवभूमि फाउंडेशन एमआईईटी, लामाचौड़, डॉ. शिव पांडे विज्ञान संकाय एपीएफ, डॉ. ए.एस. जीना, प्रोफेसर जेनेटिक्स एवं प्लांट ब्रीडिंग विभाग तथा डीन छात्र कल्याण जीबी पंत कृषि व तकनीकि विश्वविद्यालय पंत नगर, डॉ. हिमांशु गोयल, वैज्ञानिक प्प् पेंटेंट सूचना सेल, यूकॉस्ट और सुश्री अंजलि कोरंगा रावत, पेटेंट अटॉर्नी, देहरादून के नेतृत्व में व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए।

डॉ. नरेंद्र सिंह ने कहा कि आईपीआर की अवधारणा के बारे में जागरूकता बढ़ाना, इसकी विभिन्न अभिव्यक्तियों को शामिल करना और यह कैसे नवाचार और कलात्मक सरलता को रेखांकित करता है। डॉ. शिव पांडे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षा और ज्ञान साझाकरण प्रतिभागियों को आईपीआर के विभिन्न रूपों, उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और मुद्रीकरण में उनकी भूमिकाओं में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड मौसम.....गिर रहा पारा, जताई जा रही ये संभावना

डॉ. कमल सिंह रावत ने अपने व्याख्यान में बताया कि कैसे आईपीआर हमारी रचनाओं की सुरक्षा कर सकता है और प्रतिभागियों को आत्मविश्वास के साथ नवीन गतिविधियों को शुरू करने के लिए प्रेरित करने की आकांक्षा रखता है। सुश्री अंजलि कोरंगा रावत ने अपनी प्रस्तुति में कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेंट और व्यापार रहस्यों तक फैले आईपीआर के कानूनी आयामों की मूलभूत समझ प्रदान करने पर जोर दिया। डॉ. ए.एस. जीना ने बौद्धिक संपदा के पूरे परिदृश्य की जानकारी दी और प्रतिभागियों को उनकी बौद्धिक संपदा के लिए आवेदन करने और उसकी सुरक्षा करने की प्रक्रिया पर मार्गदर्शन किया, चाहे वह रचनात्मक कार्यों, आविष्कारों या ब्रांडिंग का रूप ले। डॉ. हिमांशु गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आईपीआर एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में काम कर सकता है और उत्तराखंड में व्यक्तिगत और संगठनात्मक दोनों स्तरों पर आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है।

यह कार्यशाला नवप्रवर्तकों, रचनाकारों, उद्यमियों, कानूनी चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और बौद्धिक संपदा अधिकारों के दायरे को समझने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति सहित विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों और पेशेवरों को पूरा करने के लिए तैयार की थी।

यह भी पढ़ें 👉  रिश्तों का कत्ल....पत्नी के अवैध संबंधों की बेदी चढ़ गया पति

मुख्य सत्र में सभी विशेषज्ञों ने उद्देश्य, प्रकार, आईपी उल्लंघन, कानूनी सलाह, इंस्पायर मानक जैसे स्कूल नवाचार, परिणाम, पारंपरिक ज्ञान, टैक्समती, भारतीय नीम जैसे विवाद और आईपीआर में नवीनतम रुझानों पर ध्यान केंद्रित किया। सभी सत्रों में जीवंत चर्चा हुई, जिससे छात्रों को अपने प्रश्नों का समाधान करने का मौका मिला। विशेषज्ञों ने तकनीकी प्रगति से उत्पन्न नई चुनौतियों के लिए निरंतर शिक्षा और अनुकूलन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम एक सकारात्मक नोट पर समाप्त हुआ, जिसमें छात्र प्रतिभागियों ने आईपीआर की अपनी समझ को बढ़ाने और प्राप्त ज्ञान को अपने संबंधित क्षेत्रों में लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। सत्र का अभिनंदन श्री आलोक (विज्ञान सहयोगी, एपीएफ) एवं मृणालिनी त्रिपाठी (विशेष शिक्षक, संस्कृति, रुद्रपुर) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रेम चंद जिला इंस्पायर अवार्ड मानक समन्वयक ने प्रतिभागियों को स्कूल स्तर पर नवाचार के अवसरों के बारे में संबोधित किया।

इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के 40 छात्र, 20 स्कूली छात्र, सुनील पंत, सुनील सिंह (एपीएफ स्कूल) श्री अजायब सिंह धालीवाल, विजय प्रताप और एपीएफ के संकाय सदस्यों सहित 10 स्कूल शिक्षकों ने भाग लिया।

हिल दर्पण डेस्क

हिल दर्पण डेस्क

About Author

"हिल दर्पण" उत्तराखण्ड तथा देश-विदेश की ताज़ा ख़बरों व समाचारों का एक डिजिटल माध्यम है। अपने विचार अथवा अपने क्षेत्र की ख़बरों को हम तक पहुंचानें हेतु संपर्क करें। धन्यवाद! Email: [email protected]

You may also like

उत्तराखण्ड धर्म/संस्कृति बागेश्वर

उत्तराखंड को माना जाता है शिवजी का ससुराल, यह है मान्यता      

खबर शेयर करें -उत्तराखंड में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं जिनके बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी
उत्तराखण्ड देहरादून मौसम

*मौसम विभाग की चेतावनी- पहाड़ों में होगी बारिश और बर्फबारी, कोहरे की आगोश में रहेंगे यह जिले*

खबर शेयर करें -देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम बदलने को तैयार है। इस बीच उच्च हिमालयी क्षेत्रों में