उत्तराखंड में एक सदी से भी पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक बदलाव के तहत राज्य सरकार ने दूसरे चरण की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत 1983 राजस्व गांवों को मौजूदा रेगुलर (नियमित) पुलिस थानों और चौकियों के अधीन लाया गया है।
राजस्व व्यवस्था में शामिल शेष 2440 गांवों को रेगुलर पुलिस व्यवस्था के तहत लाने के लिए 9 नए थानों और 44 रिपोर्टिंग चौकियों की स्थापना का प्रस्ताव वित्त विभाग में विचाराधीन है। इस पर जल्द निर्णय होने की उम्मीद है। इससे पहले पुलिस विभाग ने शेष 4423 गांवों को रेगुलर पुलिस क्षेत्र में लाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था।
इससे पहले वर्ष 2022 और 2023 में पहले चरण के अंतर्गत 3157 गांवों को रेगुलर पुलिस के अधीन लाया गया था। इसमें से 1800 गांव मौजूदा थानों में समाहित किए गए थे, जबकि 1357 गांवों के लिए 6 नए थाने और 20 चौकियां स्थापित की गई थीं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड देश का एकमात्र राज्य था, जहां अब तक राजस्व पुलिस व्यवस्था लागू थी। लेकिन आपराधिक घटनाओं में बढ़ोत्तरी और अपराध के बदलते स्वरूप को देखते हुए इस व्यवस्था पर लंबे समय से सवाल उठते रहे। सितंबर 2022 में अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद यह मुद्दा और गर्माया, जब जांच के शुरुआती चरण में राजस्व पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे। इसके बाद सरकार और हाईकोर्ट ने इस प्रणाली को खत्म करने के निर्देश दिए।
सरकार ने राजस्व क्षेत्रों को रेगुलर पुलिस व्यवस्था में लाने के लिए विस्तृत सर्वेक्षण का जिम्मा पुलिस विभाग को सौंपा था। तीन महीने चले सर्वे के बाद दिसंबर 2022 में पहले चरण की प्रक्रिया शुरू हुई। अब जुलाई 2025 में दूसरे और अंतिम चरण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसे आंशिक रूप से मंजूरी मिल चुकी है।
गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि शासन ने मौजूदा थानों और चौकियों में 1983 गांवों को शामिल करने की अनुमति दे दी है। बाकी गांवों के लिए नए थाने और चौकियों के प्रस्ताव पर वित्त विभाग में प्रक्रिया जारी है।