हरिद्वार। हरिद्वार स्थित स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय में महर्षि दयानंद जी की 200वीं जयंती व स्वामी दर्शनानंद जी की जयंती के पावन अवसर पर देश के केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “पतंजलि गुरुकुलम् एवं आचार्यकुलम्” की आधारशिला रखी। निश्चित तौर पर भारतीय सनातन संस्कृति, अध्यात्म, योग के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने में पतंजलि गुरुकुलम् अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पतंजलि गुरुकुलम् एवं आचार्यकुलम् के शिलान्यास पर स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण समेत पतंजलि योगपीठ परिवार के सभी सदस्यों को अनंत शुभकामनाएं दी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हरिद्वार में पतंजलि गुरूकुलम् एवं आचार्यकुलम् शिलान्यास’ समारोह में पहुंचे। उन्होंने पतंजलि गुरुकुलम् की आधारशिला रखी। इसके बाद उन्होंने संबोधन में कहा कि हमारे देश में जो सिख धर्म है, वह शिष्य शब्द से ही निर्मित है। भारत में कई सारे ऐसे धर्म और संप्रदाय हैं, जो गुरुवाणी के आधार पर ही कायम है। यदि भारतीय संस्कृति जीवित है और यह सनातन बनी हुई है, तो इसकी जीवंतता को बनाए रखने में इस देश के गुरुओं का सबसे बड़ा योगदान है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए देश के गुरुकुल आगे आए।
उन्होंने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। दुनिया के कई विद्वानों ने प्रकृति और सृष्टि को समझने के लिए संस्कृत का ही अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अहम स्थान है। योग दर्शन भी महर्षि पतंजलि ने संस्कृत में ही लिखा था। उन्होंने संस्कृत पढ़ने लिखने और बोलने वालों की कम होती संख्या को लेकर चिंता जताई। कहा कि देवभाषा की यह स्थिति देखकर मन में पीड़ा होती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि योग गुरु बाबा रामदेव वेद और योग को सरलता से जनमानस तक पहुंचा रहे हैं इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। गुरु शिष्य परंपरा पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि गुरुओं के नाम पर ही सनातन की पहचान है। सभी धर्म में मतभेद हो सकता है लेकिन गुरु को सभी ने स्वीकार किया है।