उत्तराखंड में चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब कोई भी व्यक्ति दो जगह अपना वोट नहीं रख सकेगा। दो स्थानों पर वोट पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है।
एसआईआर के तहत प्रदेशभर में प्रत्येक मतदाता को बीएलओ के माध्यम से इम्यूनरेशन फॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा। जिन लोगों के अलग-अलग जगहों पर वोट दर्ज हैं, उन्हें किसी एक ही स्थान पर फॉर्म भरना अनिवार्य होगा। यदि किसी ने दोनों जगह फॉर्म भर दिया या दो वोटों को वैध दिखाने का प्रयास किया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
बीएलओ स्वयं भी वोटर सूची की जांच कर दोहरे वोट की स्थिति की पुष्टि करेंगे। जो लोग गांव या अपने मतदाता क्षेत्र से बाहर होंगे और एसआईआर फॉर्म जमा नहीं करेंगे, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। नोटिस का जवाब न देने पर ऐसे मतदाताओं का एक वोट स्वतः डिलीट हो जाएगा।
प्रदेश में कई नेताओं के भी दो विधानसभाओं में वोट दर्ज हैं—कुछ ने पुराने चुनावों में उम्मीदवार बनने के चलते अलग-अलग जगह वोट बनवाया था। अब ऐसे सभी नेताओं को भी केवल एक ही विधानसभा क्षेत्र में वोट रखना अनिवार्य होगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने मतदाताओं को सुविधा प्रदान करते हुए ऑनलाइन वोट डिलीट करने की प्रक्रिया भी शुरू की है। वोटर अपनी किसी एक जगह का वोट हटवाने के लिए वेबसाइट voters.eci.gov.in पर जाकर फॉर्म-7 ऑनलाइन भर सकते हैं।
चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि एसआईआर के माध्यम से “एक व्यक्ति—एक वोट” सिद्धांत को पूरी तरह लागू किया जाए। दोहरी वोटिंग की स्थिति में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा–31 के तहत एक वर्ष की सजा तक का प्रावधान है।
आयोग ने पहली बार मतदाताओं की सुविधा के लिए “बुक ए कॉल विद बीएलओ” सेवा शुरू की है। इसके तहत वोट से संबंधित किसी भी प्रश्न या समस्या के समाधान के लिए मतदाता ईपीआईसी नंबर या रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के साथ कॉल बुक कर सकते हैं। इसके बाद बीएलओ स्वयं कॉल कर आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगे।


