दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही गई घायल हो गए थे। अब खबर है कि विस्फोटक पूरी तरह से विकसित नहीं था, जिसके चलते उसका प्रभाव सीमित रहा। फिलहाल, फॉरेंसिक जांच चल रही है कि घटनास्थल पर किस विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। धमाके के तार फरीदाबाद में बरामद हुए हजारों किलों सामग्री से जुड़ रहे हैं।
पीटीआई के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘संभावनाएं हैं कि संदिग्ध फरीदाबाद में हुई रेड से डर गया था, जिसके चलते वह हड़बड़ी में जगह बदलने लगा और अनहोनी की आशंका बढ़ गई। ऐसा लगता है कि आवागमन के दौरान यह घटना संदिग्ध आत्मघाती हमले से अनजाने में हुए विस्फोट में बदल गई थी।’ एजेंसी को सूत्रों ने बताया है कि पुलिस आत्मघाती हमला समेत कई पहलुओं पर जांच करर ही है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि खुफिया टीमों के शुरुआती आकलन से पता चला है कि IED को गलत तरीके से बनाया गया था, जिसके चलते इसका विनाशकारी प्रभाव सीमित हो गया था। उन्होंने कहा, ‘बम समय से पहले फट गया और पूरी तरह से विकसित नहीं था। ऐसे में इसका प्रभाव सीमित रहा। विस्फोट से कोई गड्ढा नहीं बना और कोई छर्रे भी बरामद नहीं हुए हैं।’
पुलिस जांच जम्मू और कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले डॉक्टर उमर नबी तक पहुंची है। खास बात है कि जिस i20 कार में धमाका हुआ, उसे उमर ही चला रहा था। कथित तौर पर उसके तार हरियाणा के फरीदाबाद में पकड़े गए टेरर मॉड्यूल से जुड़े हुए थे। एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि दिल्ली-एनसीआर और पुलवामा में सुरक्षा एजेंसियों की छापेमारी से घबराकर धमाका किया गया था।
शुरुआत में माना जा रहा था कि धमाके के दौरान कार में तीन लोग सवार थे, लेकिन अब साफ हो गया है कि सिर्फ उमर ही कार में था। वह टेरर मॉड्यूल के पकड़े जाने के बाद से ही फरार था। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि उसने कार में करीब 3 घंटे इंतजार के दौरान इंटरनेट पर फरीदाबाद में सहयोगियों की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी जुटाई थी। जांचकर्ताओं को उमर के वाहन कहां-कहां गया इसकी 11 घंटों की जानकारी मिल चुकी है।
एजेंसी के अनुसार, जांचकर्ताओं का कहना है कि उमर कार में कथित तौर पर विस्फोटक लेकर चल रहा था, जो संभावित रूप से अमोनियम नाइट्रेट हो सकता है।


