उत्तराखंड में संविदा और उपनल कर्मचारियों के भविष्य को लेकर सरकार ने निर्णय प्रक्रिया तेज कर दी है। मंत्रिमंडलीय उप समिति की हालिया बैठक में दोनों श्रेणियों के कर्मचारियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई है। समिति के सदस्यों ने संभावित विकल्पों पर अपने सुझाव रखे हैं और अब अंतिम फैसला जल्द आने की उम्मीद है।
सरकार द्वारा कुछ समय पहले संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के आदेश जारी किए गए थे, जिनमें 2018 तक नियुक्त कर्मियों को 10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर नियमित किए जाने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन अब इस कटऑफ डेट को आगे बढ़ाने पर विचार हो रहा है। संकेत हैं कि समिति कटऑफ को 2024 तक बढ़ाने की सिफारिश कर सकती है, जिससे अधिक संख्या में संविदा कर्मियों को नियमितीकरण का लाभ मिल सकेगा।
इसी के साथ उपनल कर्मचारियों को लेकर भी सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। इनके लिए नियमितीकरण के बजाय ‘समान काम के बदले समान वेतन’ मॉडल पर गंभीर चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री पहले ही इस दिशा में चरणबद्ध लाभ देने की बात कह चुके हैं। अब जानकारी मिल रही है कि समिति 12 साल के बजाय 10 साल सेवा पूरी करने वालों को समान वेतन का लाभ देने की सिफारिश कर सकती है।
2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली बनाने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार फैसले तक नहीं पहुंच सकी। सुप्रीम कोर्ट में राज्य की अपील खारिज होने और उपनल कर्मचारियों द्वारा अवमानना याचिका दायर करने के बाद सरकार पर निर्णय लेने का दबाव बढ़ा है। इसी क्रम में उप समिति का गठन किया गया है।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि समिति कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मंथन कर रही है और अपनी सिफारिशें जल्द सरकार को सौंपेगी। माना जा रहा है कि संविदा कर्मियों के मामले में कटऑफ 2024 तक बढ़ाने और उपनल कर्मियों के लिए पहले चरण में 2014 तक के कर्मचारियों को समान वेतन देने पर सकारात्मक विचार चल रहा है।


